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पहली रोटी गाय को : सनातन संस्कृति की एक पवित्र परंपरा

(उत्कर्ष पटेल)
'पहली रोटी गाय का नाम, यही सनातन धर्म का वंदन...' ये पंक्तियां महज शब्द नहीं बल्कि सनातन धर्म के मूल में निहित पवित्र भावना है। पृथ्वी के प्रति प्रेम का जीवंत प्रतीक गौमाता के प्रति यह आस्था हमारी संस्कृति की अनमोल विरासत है। गाय माता को पहली रोटी खिलाने की परंपरा सिर्फ एक धार्मिक प्रथा नहीं है, बल्कि जीवन की सादगी, करुणा और सेवा का प्रतीक है।
सनातन संस्कृति में गौ माता सिर्फ एक पशु नहीं है, बल्कि वह धरती की माता, भोजन का स्रोत और सभी जीवों की पोषक है। हमारे ऋषि-मुनियों ने गाय को पूजनीय माना है क्योंकि उसका दूध, मूत्र और गोबर क्रमशः मनुष्यों को पोषण, औषधि और कृषि उर्वरता प्रदान करते हैं।
'गऊ है धरती की ममता की मूरत' पंक्ति हमें याद दिलाती है कि गौ माता एक दिव्य शक्ति है जो निस्वार्थ भाव से संपूर्ण सृष्टि का पालन-पोषण करती है। यह परंपरा हमें सिखाती है कि जो हमें जीवन देता है, उसके प्रति भावनाएं व्यक्त करना हमारा पहला कर्तव्य है।
‘सदियों से जीवन जीने का यही तरीका रहा है, पहली रोटी गाय है, फिर जिंदगी वही है।’ ये पंक्तियां हमें अपने पूर्वजों के मूल्यों की याद दिलाती हैं। गाय को पहली रोटी देने का कार्य हमें सिखाता है कि जीवन की छोटी-छोटी चीजों में भी विश्वास और समर्पण महत्वपूर्ण है। यह परंपरा हमें प्रकृति के प्रति विनम्रता, सेवा और जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाती है। आज के आधुनिक युग में जहां मनुष्य अपने स्वार्थ में खोया हुआ है, वहीं यह परंपरा हमें प्रकृति और जीव-जंतुओं की सेवा करने की प्रेरणा देती है।
‘धर्म केवल परंपरा नहीं है मेरे प्यारे, गौ सेवा में करुणा अच्छी है।’ इन पंक्तियों से स्पष्ट होता है कि गौ सेवा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक प्रेमपूर्ण अनुष्ठान है जिसमें करुणा और मानवता का समन्वय है। गाय को रोटी देना एक छोटा कदम है, लेकिन इसके पीछे की भावना हमारे जीवन को पवित्र और महान बनाती है। आइए आज हम गाय की सेवा और प्रकृति की रक्षा करके इस परंपरा को जीवित रखने का संकल्प लें ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इन परंपराओं से लाभान्वित हो सकें।
गाय माता को पहली रोटी अर्पित करने का अर्थ है कृतज्ञता और सेवा के साथ जीवन की शुरुआत करना। यह परंपरा हमें सिखाती है कि जीवन का सच्चा आनंद देने और सेवा करनेमें निहित है। आइये हम इस पवित्र परम्परा को अपनाएं और गौ माता के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करें क्योंकि गौ सेवा ही सनातन धर्म की सच्ची श्रद्धा है!
(लेखक एक प्रतिष्ठित उद्यमी और समाज सेवक हैं। लेख में व्यक्त किये गये विचार उनके निजी विचार हैं। )