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बांग्लादेश संकट: सूरत के टेक्सटाइल मार्केट को नए अवसर मिलने की उम्मीद

भारत-बांग्लादेश के बीच तनाव को लेकर बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर का असर पड़ रहा है। विशेष रूप से इसके कपड़ा मार्केट में देखने को मिल रहा है। इस स्थिति का सीधा लाभ भारत के टेक्सटाइल हब खासकर सूरत को होने की संभावना है। बांग्लादेश ने भारत द्वारा प्रदान की गई ट्रांसपोर्ट सुविधा का लाभ उठाकर अपने माल को वैश्विक बाजारों तक कम लागत में पहुंचाया था, लेकिन भारत के साथ संबंध खराब होने और इस सुविधा के रद्द होने से बांग्लादेश के निर्यात पर बुरा असर पड़ा है। इससे सूरत के टेक्सटाइल मार्केट को नए अवसर मिल रहे हैं, क्योंकि वैश्विक कंपनियां अब बांग्लादेश के बजाय भारत की ओर रुख कर रही हैं।
सूरत भारत का एक प्रमुख टेक्सटाइल हब है, जो मैन-मेड फाइबर और गारमेंट उत्पादन में अग्रणी है। मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, सूरत का गारमेंट सेक्टर वर्तमान में 12 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है, और बांग्लादेश से ऑर्डर शिफ्ट होने के कारण इसमें 20-25 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। बांग्लादेश की गारमेंट इंडस्ट्री, जो वैश्विक स्तर पर चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी निर्यातक है, सूरत से बड़ी मात्रा में कपड़ा आयात करती थी। लेकिन अब, बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और ट्रांसशिपमेंट सुविधा रद्द होने से वहां की गारमेंट इंडस्ट्री संकट में है। इससे वैश्विक ब्रांड्स अब सूरत और भारत के अन्य टेक्सटाइल हब्स जैसे तमिलनाडु और नोएडा की ओर देख रहे हैं।

सूरत के लिए यह एक सुनहरा अवसर है। साउथ गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष आशीष गुजराती के अनुसार, सूरत में पहले से ही मासिक 600 करोड़ रुपये का टर्नओवर है, और वैश्विक ब्रांड्स से बढ़ती पूछताछ इस आंकड़े को और बढ़ा सकती है। बांग्लादेश से माल भेजने की लागत अब बढ़कर 5-6 डॉलर प्रति किलोग्राम हो गई है, जबकि भारत के कोलकाता से यह लागत मात्र 2-2.5 डॉलर प्रति किलोग्राम है। इस लागत अंतर के कारण यूरोप और अमेरिका जैसे बाजारों में सूरत से माल भेजना अधिक किफायती हो गया है। इसके अलावा, भारत की स्थिर आपूर्ति श्रृंखला और बांग्लादेश की तुलना में
बेहतर बुनियादी ढांचा सूरत को एक आकर्षक विकल्प बनाता है।
हालांकि, इस अवसर का पूरा लाभ उठाने के लिए सूरत को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। बांग्लादेश की गारमेंट इंडस्ट्री में सस्ते श्रम की उपलब्धता एक बड़ा लाभ था, जबकि भारत में श्रम लागत अपेक्षाकृत अधिक है। साथ ही, सूरत को अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने और वैश्विक मानकों को पूरा करने पर ध्यान देना होगा ताकि बांग्लादेश से शिफ्ट होने वाले ऑर्डर को प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सके।