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भगवान गणेश का कटा हुआ सिर आखिर गया कहां? तो आइए जानते हैं इसके बारे में

भगवान गणेश का कटा हुआ सिर और उसकी कहानियां भारतीय पुराणों और शास्त्रों में एक दिलचस्प और रहस्यमय प्रसंग बन चुकी हैं। यह कथा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पीछे छिपी मान्यताएं और धरोहर भी बहुत दिलचस्प हैं। शिव पुराण के अनुसार, माता पार्वती ने अपने शरीर के उबटन से भगवान गणेश को जन्म दिया। जन्म के बाद जब वो स्नान के लिए जा रही थीं, तो उन्होंने गणेश जी को आदेश दिया कि वे किसी को भी अंदर न आने दें. तभी भगवान शिव वहां पहुंचे और भवन में प्रवेश करना चाहा, लेकिन बालक गणेश ने उन्हें रोक दिया। गणेश जी के हठ को देखकर भगवान शिव क्रोधित हो गए और अपने त्रिशूल से गणेश जी का सिर काट दिया। जब माता पार्वती ने यह देखा, तो वे क्रोधित हो गईं, जिससे सृष्टि में हाहाकार मच गया।
सभी देवताओं ने भगवान शिव से गणेश जी को पुनर्जीवित करने का अनुरोध किया। तब भगवान विष्णु ने एक हाथी का सिर लाकर उसे गणेश जी के धड़ पर स्थापित किया और उन्हें पुनर्जीवन मिला, लेकिन प्रश्न यह उठता है कि गणेश जी का कटा हुआ सिर आखिर कहां गया?

पाताल भुवनेश्वर गुफा एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है और उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है। इस गुफा को लेकर जो मान्यता है, उसके अनुसार गणेश जी का कटा हुआ सिर जब भगवान शिव के क्रोध में कटकर गिरा, तो वह गुफा में चला गया। ऐसी मान्यताएं भारतीय संस्कृति और धार्मिक विश्वासों का हिस्सा हैं, जो समय के साथ जुड़ी हुईं हैं। भगवान गणेश के कटा हुआ सिर और पाताल भुवनेश्वर गुफा का सम्बंध उन धार्मिक संकेतों और दिव्य घटनाओं से है, जिन्हें आज भी श्रद्धा और विश्वास से देखा जाता है।