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सरकार ने कहा देश में एचएमपीवी की स्थिति, अब तक भारत में कितने मामले आए
6 से 29 जनवरी 2025 तक भारत के 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 59 मामले सामने आए

नई दिल्ली। सरकार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि देश में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) 2001 से विश्वभर में मौजूद है। एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के आंकड़े देश में कहीं भी इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी/गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी के मामलों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं दर्शाते हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के निगरानी आंकड़ों से भी इसकी पुष्टि हुई है। 6 से 29 जनवरी, 2025 तक भारत के 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 59 मामले सामने आए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एचएमपीवी मामलों की निगरानी और नियंत्रण तथा एचएमपीवी के लक्षणों और रोकथाम रणनीतियों के बारे में अभियान के माध्यम से जन जागरूकता पैदा करने के लिए कई विशिष्ट कदम उठाए हैं।
एचएमपीवी स्थिति की नियमित निगरानी के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (पीएचईओसी) को 6 जनवरी, 2025 से सक्रिय कर दिया गया है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सतर्क रहने और अस्पताल में भर्ती एसएआरआई मामलों के श्वसन नमूनों को जांच और सकारात्मक नमूनों की अनुक्रमण के लिए नामित वायरस अनुसंधान और प्रयोगशालाओं (वीआरडीएल) को भेजने की सलाह दी गई है। भारत में पहले से ही आईसीएमआर और आईडीएसपी नेटवर्क के माध्यम से इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) और गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी (एसएआरआई) के लिए एक मजबूत निगरानी प्रणाली मौजूद है।
बीमारी से बचने के लिए उपाय
राज्यों को सलाह दी गई है कि वे सरल उपाय अपनाएं जैसे साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना, बिना धुले हाथों से आंख, नाक या मुंह को छूने से बचना, लक्षण वाले लोगों के साथ निकट संपर्क से बचना, खांसते और छींकते समय मुंह और नाक को ढंकना आदि, ताकि वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लोगों के बीच सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) और जागरूकता बढ़ाई जा सके। सरकार ने पूरे देश में तैयारियां शुरू कर दी थीं और यह सुनिश्चित किया था कि इस मौसम में श्वसन संबंधी बीमारियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य प्रणाली पर्याप्त रूप से तैयार रहे।
सचिव (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण), स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक, संयुक्त निगरानी समूह के स्तर पर विभिन्न हितधारकों के साथ कई बैठकें आयोजित की गईं और भारत में श्वसन रोगों और एचएमपीवी मामलों की स्थिति की समीक्षा की गई। हितधारकों में स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, डीजीएचएस, राज्यों के स्वास्थ्य सचिव और अधिकारी, एकीकृत रोग निगरानी मंच (आईडीएसपी), एनसीडीसी, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) और आईडीएसपी की राज्य निगरानी इकाइयों के विशेषज्ञ शामिल हैं। राज्यों को इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी/गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी की निगरानी को मजबूत करने और उसकी समीक्षा करने की सलाह दी गई है।