बिहार में वोटों की चोरी नहीं, डकैती हो रही…जानिये राजद सांसद मनोज झा ने ऐसा क्यों कहा?

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नई दिल्ली। बिहार में इन दिनों वोटर लिस्ट अपडेट करने को लेकर हंगामा मचा हुआ है। इसे लेकर बिहार से दिल्ली तक विरोध हो रहा है। इसकी वजह से संसद पिछले पांच दिनों से चल नहीं पा रहा है। विपक्ष जहां इसे चुनाव से पहले वोटों की चोरी बता रहा है। वहीं, सरकार ने इस पर चर्चा कराने से इनकार कर दिया है। फिलहाल यह मामला इतनी आसानी से थमता नजर नहीं आ रहा है। बता दें कि बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसमें करीब तीन महीने का समय बचा हुआ है। उससे पहले बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) का काम चल रहा है। विपक्ष इसका विरोध कर रहा है। उसका कहना है कि इससे लाखों लोग वोट डालने से वंचित रह जाएंगे। इस विरोध को राष्ट्रीय जनता दल लीड कर रही है। पार्टी के सांसद मनोज झा इसको लेकर सबसे मुखर हैं।

वे स्पष्ट रूप से स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को वोटों की डकैती बताते हैं। उनका कहना है कि कहते हैं कि पीएम मोदी भले भैंस-मंगलसूत्र पर बयान दें, लेकिन बिहार में नौकरी की बातें करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार में नौकरी ही सबसे बड़ा मुद्दा है। उन्होंने संसद नहीं चलने देने के मुद्दे पर कहा कि संसद की अवधारणा है कि वहां लोगों से जुड़े सवाल पूछे जाएं। गरीबी, बेरोजगारी पर चर्चा हो। उन्होंने कहा कि संसद सत्र से पहले इंडिया ब्लॉक ने चुनाव आयोग से मुलाकात की थी। हमने कहा कि 2003 में भी इंटेंसिव रिवीजन हुआ था। तब चुनाव नहीं था और 6-8 महीने लगे थे। चुनाव आयोग ने एसआईआर कराने के फैसले से पहले उन्होंने किसी भी राजनीतिक दल से बात नहीं की। 11 दस्तावेज जिनका जिक्र है, उन्हें बनाने के लिए आधार कार्ड चाहिए, लेकिन आपने आधार कार्ड को खारिज कर दिया। राशन कार्ड भी नहीं मान रहे हैं।

दस्तावेज के मामले में बिहार काफी पिछड़ा हुआ है…

सांसद मनोज झा ने कहा कि बिहार दस्तावेज के मामले में बहुत पिछड़ा राज्य है। यहां कम लोगों के पास जरूरी दस्तावेज हैं। हमें लगा कि चुनाव आयोग को हमारी दलील पसंद नहीं आ रही है। वे सब तय करके बैठे हैं। तब हमने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। हमारे पास विकल्प था कि इस मामले को संसद में लाएं। लोकतंत्र में लोक को विलुप्त करने और दाखिल से बदले बेदखल करने की योजना होगी, तो वह लोकतंत्र को महज एक तंत्र में बदल देगी। संसद में चर्चा नहीं होने देने के मसले पर मनोज झा ने कहा कि गैरपारदर्शिता इस सरकार का लक्षण है। पहलगाम की पीड़ा सामूहिक थी। इस देश में एक व्यक्ति नहीं था, जिसकी आंख से आंसू नहीं आए। ऑपरेशन सिंदूर के वक्त एक व्यक्ति ऐसा नहीं था, जिसने अलग विचार व्यक्त किया हो। डोनाल्ड ट्रम्प का बार-बार बयान आने लगा तो हमने कहा कि संसद बुलाइए। डोनाल्ड ट्रम्प दुनिया के सरपंच बनने की हड़बड़ाहट में हैं। मैं इस सरकार की हठधर्मिता कई साल से देख रहा हूं। इसलिए मैंने कहा कि गैरपारदर्शिता इनके आभूषण में शामिल है।

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