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अहमदाबाद प्लेन क्रैश हादसे में इकलौते बचे शख्स विश्वास कुमार अब भी सदमे में, रात में अचानक चौंककर नींद से जाग जाते हैं…

नई दिल्ली। गुजरात के अहमदाबाद में 12 जून को हुए विमान हादसे को करीब डेढ़ महीना बीत चुका है। लेकिन कई पीड़ित परिवार इस सदमे से उबर नहीं पाए हैं। आज भी उनकी आंखों में आंसू और अपने को खोने का गम साफ-साफ दिखता है। बता दें कि इस हादसे में 270 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। ऐसी ही एक कहानी है इस विमान हादसे में इकलौते बचे शख्स विश्वास कुमार भालिया की। विश्वास जिन्होंने हादसे में अपने भाई अजय को अपनी आंखों के सामने मौत की मुंह में जाते हुए देखा। डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी विश्वास इस सदमे से उबर नहीं पाए हैं। उनके चेहरे पर इस सबसे बड़े दर्द को अब भी देखा जा सकता है। परिवार और दोस्त उनका हौसला लगातार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन लगता है सदमे से उबरने में लंबा वक्त लगेगा। उनके परिवार का कहना है कि विश्वास को नींद नहीं आती। रात-रातभर जागते रहते हैं। इस वजह से उसका एक छोटे बच्चे की तरह हर समय ध्यान रखना पड़ रहा है। पिता रमेशभाई भालिया बताते हैं कि बेटा विश्वास अपने कमरे तक ही सीमित होकर रह गया है। वह ज्यादातर समय वहीं बिताता है। उसे मानसिक आघात पहुंचा है, जिससे वह अब तक उबर नहीं पाया है।
क्या कहते हैं विश्वास के पिता
विश्वास के पिता अपने बेटे के बारे में बात करते हुए बताते हैं कि आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उसने अपनी आंखों से कितना भयावह दृश्य देखा था। उन्होंने बताया कि हादसे में सगे भाई की भी मौत हो गई। दोनों भाई जिगरी दोस्त की तरह रहा करते थे। यहां तक कि लंदन से भारत भी साथ ही आया-जाया करते थे। पूरा परिवार तनाव में है। पत्नी भी बीमार है और बेटे की चिंता में उसका भी खाना-पीना छूट गया है। एक बेटे की मौत हो गई है और दूसरा बेटा सदमे में है तो आप समझ सकते हैं कि परिवार की हालत कैसी होगी।
परिवार वाले बताते हैं कि देर रात तक उसे नींद ही नहीं आती। अगर सोता भी है तो चौंककर नींद से जाग जाता है और फिर दोबारा नहीं सोता। हमारे रिश्तेदार और कई अन्य लोग के लगातार कॉल्स आते रहते हैं, लेकिन विश्वास किसी से बात नहीं करता। दोनों भाई विश्वास और अजय की दीव में गारमेंट की दुकान थी, लेकिन कोरोना काल में वह बंद हो गई तो उन्होंने फिशिंग बोट खरीद ली थी। इसके चलते दोनों भाई ठंड से गर्मी के मौसम तक दीव में पैतृक घर पर रहते थे। मानसून की शुरुआत में लंदन लौट जाते थे। विश्वास और अजय हर साल 6-7 महीने दीव में और चार-पांच महीने लंदन में रहते थे।
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