पुरुषों और महिलाओं की ये आदत शुक्राणुओं और अंडों को नुकसान पहुंचा रही है, IVF भी कारगर नहीं

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IVF एक ऐसी तकनीक है जो आज कई जोड़ों को माता-पिता बनने का सुख देती है। यह तकनीक सिर्फ़ एक इलाज नहीं, बल्कि उन टूटे सपनों को फिर से जोड़ने का ज़रिया बन गई है जिन्हें लोग नामुमकिन मानते थे। यह भारत समेत दुनिया भर के कई जोड़ों के लिए उम्मीद की किरण की तरह काम करती है, लेकिन यह समझना बेहद ज़रूरी है कि आपकी एक बुरी आदत भी इस तकनीक की नाकामी का कारण बन सकती है। अब सवाल यह है कि आखिर यह बुरी आदत क्या है? यह आदत कोई और नहीं बल्कि सिगरेट पीने की है। जी हां, सिगरेट में इस्तेमाल होने वाला तंबाकू माता-पिता बनने की राह में रोड़ा बन सकता है।

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ज़्यादातर लोग जानते हैं कि तंबाकू फेफड़ों और दिल को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे IVF (इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन) की सफलता की संभावना कम हो सकती है।

फिर भी भारत में IVF की सफलता दर कई विदेशी देशों से बेहतर है। आइए विश्व IVF दिवस पर इस लेख में जानें कि तंबाकू और प्रजनन क्षमता और IVF के बीच क्या संबंध है? इसके साथ ही भारत में आईवीएफ की सफलता दर क्या है?

आईवीएफ एक ऐसी तकनीक है जिसमें महिला के अंडे और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर प्रयोगशाला में मिलाया जाता है। जब ये दोनों मिलते हैं तो एक भ्रूण विकसित होता है। इस भ्रूण को फिर महिला के गर्भाशय में डाला जाता है, ताकि वह वहां विकसित हो सके और गर्भधारण हो सके।

धूम्रपान आपके प्रजनन तंत्र यानी बच्चे पैदा करने की क्षमता पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है। इससे पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है और उनका प्रजनन स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है। चाहे आप प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हों या आईवीएफ जैसी चिकित्सा तकनीकों का उपयोग कर रही हों, धूम्रपान या निष्क्रिय धूम्रपान (सिगरेट के धुएँ के संपर्क में आना) दोनों ही बांझपन के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। यह जोखिम इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप प्रतिदिन कितनी सिगरेट पीती हैं।

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धूम्रपान महिलाओं की प्रजनन क्षमता को कई तरह से गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। सबसे बड़ा प्रभाव अंडों की गुणवत्ता और संख्या पर पड़ता है। धूम्रपान अंडों के विकास को कम कर सकता है, ओव्यूलेशन को अनियमित बना सकता है और अंडाशय द्वारा कम अंडे का उत्पादन करने का कारण बन सकता है। ये समस्याएं अंडे और शुक्राणु के मिलन, भ्रूण के समुचित निर्माण और गर्भाशय में उसके जीवित रहने में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं, जो गर्भावस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

अगर कोई महिला गर्भवती भी हो जाती है तो धूम्रपान से गर्भपात, समय से पहले प्रसव, जन्म के समय कम वजन या गर्भ में शिशु की मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई महिला आईवीएफ प्रक्रिया से गुज़र रही है, तो धूम्रपान के कारण अंडों की गुणवत्ता खराब हो सकती है, जिससे गर्भधारण की संभावना कम हो सकती है।

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इसके अलावा, निष्क्रिय धूम्रपान से निकलने वाले हानिकारक रसायन अंडे के अंदर की आनुवंशिक सामग्री को नुकसान पहुँचा सकते हैं, जिससे गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है और आगे चलकर शिशु में कई बीमारियाँ भी हो सकती हैं।

धूम्रपान पुरुष प्रजनन क्षमता को कई तरह से नुकसान पहुंचाता है। यह शरीर की नसों को कमज़ोर कर सकता है, जिससे इरेक्टाइल डिस्फंक्शन हो सकता है। इससे गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा धूम्रपान से निकलने वाला धुआँ शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है। इससे न केवल प्राकृतिक रूप से बल्कि आईवीएफ के माध्यम से भी गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। धूम्रपान शुक्राणु के डीएनए को भी नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे जन्म के समय या बाद में शिशु को कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

भारत में आईवीएफ की सफलता दर आमतौर पर 50 से 60 प्रतिशत के बीच होती है। हालांकि, यह हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकती है। यह महिला की उम्र, अंडे और शुक्राणु की गुणवत्ता, और उस क्लिनिक व डॉक्टर पर निर्भर करता है जहाँ इलाज किया जा रहा है। ये सभी बातें मिलकर तय करती हैं कि आईवीएफ से गर्भधारण होगा या नहीं। आईवीएफ की सफलता कई बातों पर निर्भर करती है। आइए जानें वे क्या हैं...

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महिला की उम्र: जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, अंडों की संख्या और उनकी गुणवत्ता कम होती जाती है। इससे गर्भधारण की संभावना कम हो सकती है।

बांझपन के कारण: कुछ कारणों का इलाज आईवीएफ की तुलना में आसान होता है। उदाहरण के लिए, अगर फैलोपियन ट्यूब बंद हो, तो आईवीएफ ज़्यादा प्रभावी होता है, लेकिन अगर अंडों की गुणवत्ता खराब हो तो सफलता दर कम हो सकती है।

पिछला गर्भावस्था इतिहास: यदि कोई महिला पहले गर्भवती हो चुकी है, तो उसके दोबारा गर्भवती होने की संभावना अधिक हो सकती है।

जीवनशैली: धूम्रपान, शराब पीना, अधिक वज़न होना और खराब आहार लेना आईवीएफ की सफलता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से आपको बेहतर परिणाम प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

क्लिनिक और डॉक्टर का अनुभव: यदि आप किसी अच्छे क्लिनिक और अनुभवी डॉक्टर से उपचार करवाते हैं, तो आपकी सफलता की संभावना अधिक हो सकती है।

ताज़ा या जमे हुए भ्रूण: कुछ मामलों में, जमे हुए भ्रूण बेहतर परिणाम दे सकते हैं।

भ्रूणों की संख्या: यदि एक से अधिक भ्रूण स्थानांतरित किए जाते हैं, तो गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है, लेकिन जुड़वां या तीन बच्चों का जोखिम भी बढ़ जाता है।

शुक्राणु की गुणवत्ता: यदि शुक्राणुओं की संख्या गतिशीलता और आकार अच्छा नहीं है, तो गर्भधारण में समस्याएं हो सकती हैं।

गर्भाशय की स्थिति: गर्भधारण के लिए गर्भाशय का अच्छी स्थिति में होना आवश्यक है। यदि यह भ्रूण को ठीक से धारण करने में असमर्थ है, तो गर्भधारण नहीं हो सकता।

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