कॉटन खोलेगा आर्थिक उन्नति का द्वार, भारत चीन को पछाड़कर जल्द बनेगा कॉटन किंग, सूरत के टेक्सटाइल हब का भी बदल जाएगा स्वरूप

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नई दिल्ली। टेक्सटाइल के क्षेत्र में भारत अब सरताज बन रहा है। आयात के मुकाबले निर्यात में हम मजबूत हो रहे हैं। टेक्सटाइल हब सूरत निर्यात के मामले में अग्रणी होता जा रहा है। सूरत अब केवल साड़ियों के लिए ही नहीं बल्कि कुर्तियों और अन्य रेडीमेड परिधानों में भी अपनी पहचान बना रहा है। अब टेक्सटाइल क्षेत्र में भारत जल्द ही एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेगा। दरअसल, कपास के उत्पादन में भारत सबसे आगे निकलने के लिए तैयार है। चीन को पछाड़ने के लिए हालांकि अभी वक्त है, लेकिन इसके लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। कपास का उत्पादन बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक नए-नए तरीकों पर काम कर रहे हैं। OECD-FAO की 'एग्रीकल्चरल आउटलुक 2025-2034' रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्ष 2034 तक चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश बन जाएगा। यह उपलब्धि उत्पादन क्षेत्र में नहीं, बल्कि उत्पादकता में सुधार के बल पर हासिल होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कपास उत्पादन में 2 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि का अनुमान है, जबकि वैश्विक औसत 1.3 फीसदी रहेगा।

कपास के उत्पादन में अभी क्या स्थिति है…

वर्तमान सीजन में वैश्विक कपास उत्पादन 256.8 लाख टन रहने की संभावना है। वहीं, 2034 तक यह आंकड़ा बढ़कर 295 लाख टन तक पहुंच सकता है। इस बढ़त में भारत की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी, उसके बाद ब्राजील की 27 फीसदी और अमेरिका की 23 प्रतिशत का स्थान होगा। हालांकि भारत अब तक उत्पादकता के मामले में पिछड़ा हुआ रहा है, लेकिन अच्छी बात यह है कि अब इसमें 1.7% वार्षिक सुधार का अनुमान है।

कपास का उत्पादकता बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक उपाय किये जा रहे

भारत की कपास उत्पादकता की बात करें तो 0.8 टन प्रति हेक्टेयर के वैश्विक औसत से कम है, जबकि चीन और ब्राजील में यह इससे दोगुनी है। लेकिन, रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अब उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई वैज्ञानिक उपाय किए जा रहे हैं। इसमें हाई-डेंसिटी प्लांटिंग सिस्टम है। इससे प्रति हेक्टेयर पौधों की संख्या बढ़ेगी और कटाई में मशीनीकरण आसान होगा। वहीं, कपास के उत्पादन में सबसे जटिल काम पौधों को कीटों से बचाकर रखना है। लेकिन अब बीटी जीएम कपास के उपयोग से कीटों से नुकसान कम हो गया है। इससे कीटनाशकों पर निर्भरता घटाई गई है। इसके अलावा पारंपरिक प्रजनन तकनीक से विकसित ये किस्में पानी की कमी वाले इलाकों के लिए उपयुक्त हैं।

भारत की कपास आधारित वस्त्र और यार्न के निर्यात में अहम भूमिका होगी

2034 तक एशिया खासकर भारत, बांग्लादेश और वियतनाम कच्चे कपास की प्रोसेसिंग का मुख्य केंद्र बने रहेंगे। रिपोर्ट के अनुसार, भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा प्रोसेसिंग हब बनेगा। वहीं, भारतीय टेक्सटाइल उद्योग की मांग के चलते देश में कपास की खपत में 1.3% वार्षिक वृद्धि का अनुमान है। इसके अलावा भारत कपास आधारित वस्त्र और यार्न के निर्यात में भी अहम भूमिका निभाएगा।

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