- Hindi News
- राजनीति
- जब कांग्रेस खुद धनखड़ को हटाना चाहती थी, तो फिर उनके इस्तीफे पर हंगामा क्यों?
जब कांग्रेस खुद धनखड़ को हटाना चाहती थी, तो फिर उनके इस्तीफे पर हंगामा क्यों?

उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के कारण राजनीतिक माहौल गर्म है। उनके इस्तीफे के बाद विपक्ष सरकार पर हमला बोल रहा है। विपक्ष का कहना है कि धनखड़ ने किसी दबाव में इस्तीफा दिया है। विपक्ष के नेता धनखड़ के प्रति सहानुभूति व्यक्त कर रहे हैं। वे उन्हें एक महान व्यक्ति कह रहे हैं, लेकिन ये वही नेता हैं जो कुछ महीने पहले तक धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगा रहे थे। वे सत्ता पक्ष को अधिक समय देने की बात कहते थे।
हद तो तब हो गई जब विपक्ष ने धनखड़ के खिलाफ पिछले साल 10 दिसंबर को अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस राज्यसभा के महासचिव पी.सी. मोदी को सौंपी थी। इस प्रस्ताव पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP), समाजवादी पार्टी (SP), DMK और अन्य विपक्षी पार्टियों के लगभग 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे। विपक्ष ने सदन में धनखड़ पर पक्षपातपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया था। हालांकि 19 दिसंबर को उपाध्यक्ष हरिवंश ने तकनीकी आधार पर इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, क्योंकि इसे प्रस्तुत करने के लिए आवश्यक 14 दिनों की नोटिस नहीं दी गई थी। यह भारत के संसदीय इतिहास में पहला अवसर था, जब उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।

इस अविश्वास प्रस्ताव में सबसे आगे दिखी कांग्रेस पार्टी और उसके नेता अब धनखड़ की प्रशंसा कर रहे हैं, दरअसल, धनखड़ ने सोमवार रात को स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस ने दावा किया कि जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के पीछे उनके द्वारा बताए गए स्वास्थ्य कारणों के अलावा अन्य बड़े कारण हैं। कांग्रेस ने कहा कि धनखड़ का इस्तीफा उनकी बाबत बहुत कुछ कहता है और साथ ही उन लोगों की नीयत पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है, जिन्होंने उन्हें उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचाया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि धनखड़ ने सोमवार दोपहर 12:30 बजे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की अध्यक्षता की थी।
कांग्रेस ने कहा कि सोमवार दोपहर 1:00 से 4:30 बजे के बीच कुछ बहुत ही गंभीर घटना हुई थी कि केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा और किरेन रिजिजू कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में नहीं पहुंचे थे। पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि धनखड़ मापदंड, शिष्टाचार और नियमों के प्रति बहुत सचेत थे और उनका मानना था कि उनके कार्यकाल के दौरान इन नियमों की लगातार अवहेलना हो रही थी। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि धनखड़ हमेशा 2014 के बाद भारत की प्रशंसा करते थे, लेकिन साथ ही किसानों के हित के लिए खुलकर आवाज उठाई। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में बढ़ते अहंकार की आलोचना की थी और न्यायपालिका की जवाबदेही और संयम की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने विपक्ष को यथासंभव जगह देने का प्रयास किया था।

अब सवाल खड़े होते हैं कि अगर धनखड़ इतने अच्छे हैं, तो फिर कांग्रेस पार्टी दिसंबर में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाई थी। क्या उस समय धनखड़ खराब थे और क्या वे अब अच्छे बन गए हैं? यह कांग्रेस पार्टी के दोहरे मानदंड दिखाता है। अब वे उनके इस्तीफे पर झूठा हंगामा कर रही है। वह स्वास्थ्य कारणों से धनखड़ के इस्तीफे के मुद्दे पर भी राजनीति कर रही है।
About The Author

Lorem Ipsum is simply dummy text of the printing and typesetting industry. Lorem Ipsum has been the industry's standard dummy text ever since the 1500s, when an unknown printer took a galley of type and scrambled it to make a type specimen book. It has survived not only five centuries, but also the leap into electronic typesetting, remaining essentially unchanged. It was popularised in the 1960s with the release of Letraset sheets containing Lorem Ipsum passages, and more recently with desktop publishing software like Aldus PageMaker including versions of Lorem Ipsum.