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ऑपरेशन सिंदूर का मतलब है जय दुर्गा, जय बजरंगबली, जय महाकाल और...

ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा चलाया गया एक शक्तिशाली और अभूतपूर्व रणनीतिक ऑपरेशन है। इस ऑपरेशन का नाम, समय, स्थान और 360 डिग्री की योजना चौंकाने वाली थी। 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुई घटना के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया था। अब इसका अलग-अलग तरह से विश्लेषण किया जा रहा है। एक तरह से यह धर्म के नाम पर हो रहे हमले का जवाब था। अब इस जवाब में धर्म और उससे जुड़े प्रतीकों का रंग भी जुड़ गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि हमने इस ऑपरेशन में हनुमानजी के सिद्धांतों का पालन किया है। उन्होंने लंका जाकर उन्हीं राक्षसों का वध किया, जिन्होंने उन्हें मारने की कोशिश की थी। इस ऑपरेशन में भी बदला लेने में उसी सिद्धांत का पालन किया गया है।
1. नाम की महिमा-जय दुर्गा, जय बजरंगबली
ऑपरेशन सिंदूर का नाम बहुत सांकेतिक है। कहा जाता है कि यह पहले से तय था और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया था। इस नाम में कई संकेत हैं। सिंदूर मूल रूप से भारतीय हिंदू महिलाओं का सूचक है। हिंदू धर्म में महिलाओं को शक्ति माना जाता है। इसके अलावा पहलगाम में जो हमला हुआ, उसमें धर्म पूछकर लोगों की हत्या की गई। यह धर्म पर सीधा हमला था। इसलिए इसका जवाब भी उसी तरह दिया गया है। इसके अलावा बजरंगबली को सिंदूर चढ़ाया जाता है। बजरंगबली भी शक्ति के प्रतीक हैं। इसके अलावा सनातन धर्म का रंग भी सिंदूर से मिलता जुलता है। इस प्रकार इस नाम में कई संकेत एक साथ आते हैं। अगर इस शब्द के अर्थ और उत्पत्ति की बात करें तो सिंदूर शब्द का अर्थ लाल रंग का पाउडर होता है। इसकी उत्पत्ति संस्कृत के शब्द सिंदूर से हुई है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि खून का रंग भी लाल होता है।
2. समय-जय महाकाल
महाकाल वह समय है जब शिव तांडव करते हैं। यह शिव का रौद्र रूप है। यह क्रिया भी शिव के रूप का सूचक है। शिव की पूजा रात में की जाती है। शिवरात्रि मनाई जाती है। यह ऑपरेशन 6 और 7 मई 2025 की मध्य रात्रि को किया गया था, रक्षा मंत्रालय ने 7 मई 2025 को सुबह 2:19 बजे (भारतीय समयानुसार) इसकी घोषणा की।
हमले और जवाब के बीच की अवधि 14 से 15 दिन है। यह अवधि दर्शाती है कि भारत ने बिना किसी जल्दबाजी के समझदारी से योजना बनाई।
भारत की खुफिया एजेंसी रॉ ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के शिविरों की खोज की, जिसके लिए समय की आवश्यकता थी।
भारतीय सेना और वायु सेना ने संयुक्त रूप से इस ऑपरेशन में राफेल लड़ाकू विमानों और सटीक हथियारों का इस्तेमाल किया, जिसके लिए विस्तृत योजना की आवश्यकता थी। भारत ने इस अवधि का उपयोग अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक पहुँचने और अपने कार्यों को सही ठहराने के लिए भी किया।
हमले 6 मई की रात या 7 मई की सुबह (भारतीय मानक समयानुसार) किए गए। इस समय को चुनने का कारण यह था कि रात या सुबह जल्दी हमला करने से दुश्मन को तैयारी करने का समय नहीं मिलेगा। साथ ही, रात में नागरिकों की आवाजाही कम होती है, जिससे नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचता।
रक्षा मंत्रालय ने सुबह 2:19 बजे घोषणा की और सुबह 10:00 बजे मीडिया ब्रीफिंग आयोजित की। इस समय को चुनकर भारत वैश्विक मंच पर अपनी बात मजबूती से रख पाया। भले ही पाकिस्तान हंगामा करे। 14 दिनों की अवधि, रात में ऑपरेशन और समय पर घोषणा से पता चलता है कि भारत ने इस ऑपरेशन को सावधानी और रणनीतिक तरीके से अंजाम दिया। इस समय ने भारत को सटीकता और अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने में मदद की।
3. स्थान
ऑपरेशन सिंदूर में, भारत ने पाकिस्तान में कुल नौ आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया। इन ठिकानों में शामिल थे: लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मुख्यालय, जो 26/11 मुंबई हमलों और पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार था। बहावलपुर, गुलपुर, भीमबर, चक अमरू, बाग, कोटली, सियालकोट, मुजफ्फराबाद: ये स्थान LeT और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के ठिकानों के घर थे।
ये नौ ठिकाने मुरीदके (लाहौर के पास, पाकिस्तान के पंजाब में) से लेकर मुजफ्फराबाद (पीओके में) तक फैले हुए हैं, जो दर्शाता है कि भारत ने व्यापक हमले की योजना बनाई थी। भारत ने पाकिस्तान में किसी भी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया, जो युद्ध को बढ़ाने से बचने के लिए एक रणनीतिक निर्णय था।
इन स्थानों का चयन भारत की खुफिया जानकारी की ताकत को दर्शाता है। लश्कर और जैश के मुख्य ठिकानों पर हमला करके भारत ने आतंकवाद की जड़ों को नष्ट करने की कोशिश की, जबकि सैन्य प्रतिष्ठानों से बचकर युद्ध की संभावना को कम किया।
4. 360डिग्री की योजना
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने सैन्य, अंतरराष्ट्रीय नीति और घरेलू स्थिति को एक साथ कैसे संभाला। इस ऑपरेशन में भारत को कई मोर्चों पर ध्यान देना था, लेकिन पाकिस्तान इस मामले से बेखबर रहा।
ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने सैन्य सटीकता, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और देश के अंदर की स्थिति को एक साथ संभालने के लिए सटीक योजनाएँ बनाई थीं। वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि यह कार्य बहुत कठिन हो सकता है, लेकिन भारत ने पूर्व नियोजन, स्पष्ट संदेश और नागरिक सुरक्षा उपायों के माध्यम से यह कर दिखाया है।
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