गुजरात के सभी राजनीतिक दलों में मुस्लिम समुदाय के युवा नेतृत्व का अभाव क्यों है?

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गुजराती राजनीति में मुस्लिम युवा नेतृत्व का अभाव एक वास्तविकता है। गुजराती राजनीति में मुस्लिम युवा नेतृत्व का अभाव एक जटिल और बहुआयामी मुद्दा है। राज्य की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसी प्रमुख पार्टियों का दबदबा रहा है, लेकिन मुस्लिम समुदाय के युवा नेताओं का प्रतिनिधित्व नगण्य रहा है। इसके कुछ कारण सामाजिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक संदर्भों में देखे जा सकते हैं।

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सबसे पहले, गुजराती राजनीति में ध्रुवीकरण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 2002 के गोधरा कांड और उसके बाद हुई हिंसक घटनाओं ने राज्य के राजनीतिक माहौल में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच की खाई को और चौड़ा कर दिया। परिणामस्वरूप, कई राजनीतिक दल मतदाताओं पर ध्रुवीकरण के प्रभाव के डर से मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने से हिचकिचाते हैं। यह मुद्दा विशेष रूप से युवा नेताओं के लिए एक बड़ी बाधा है क्योंकि पार्टियां अनुभवी और जाने-माने चेहरों को प्राथमिकता देती हैं।

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दूसरा, मुस्लिम समुदाय, खासकर युवाओं में, शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण का स्तर अन्य समुदायों की तुलना में कम है। इससे राजनीतिक दलों में नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए आत्मविश्वास और संसाधनों की कमी होती है। युवा मुसलमानों में राजनीतिक जागरूकता के बावजूद, उनके पास राजनीतिक मंच पर आगे आने के लिए आवश्यक आर्थिक और सामाजिक समर्थन का अभाव है।

तीसरा, राजनीतिक दलों के अंदरूनी मामले भी एक कारण हैं। प्रमुख दलों में नेतृत्व के अवसर ज्यादातर प्रभावशाली जाति समूहों और स्थापित नेताओं के हाथों में ही रहते हैं। मुस्लिम युवाओं के पास पार्टी के भीतर उच्च पदों तक पहुंचने के सीमित अवसर हैं। उदाहरण के लिए, 2022 के विधानसभा चुनावों में, प्रमुख दलों ने मुस्लिम उम्मीदवारों को मामूली टिकट दिए और युवा मुस्लिम नेता लगभग नदारद रहे।

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इसके अलावा, रूढ़िवादी दृष्टिकोण भी युवा मुसलमानों को राजनीति में आने से रोकता है। कई युवा राजनीतिक हिंसा या सामाजिक बहिष्कार के डर से राजनीति से दूर रहना पसंद करते हैं। हालांकि, शिक्षा और सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव से युवा मुसलमानों में राजनीतिक जागरूकता बढ़ रही है, जिससे भविष्य में यह अंतर कम हो सकता है।

इस समस्या के समाधान के लिए, राजनीतिक दलों को मुस्लिम युवाओं को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करना चाहिए, शिक्षा और नेतृत्व के अवसर बढ़ाने चाहिए और समाज में भाईचारे का माहौल बनाना चाहिए।

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