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नमिता थापर का सुझाव: कुछ लोगों के लिए अच्छा होगा कि वे बच्चे न पैदा करें, बस ऑफिस पर फोकस करें

आजकल घर चलाने और अच्छी जीवनशैली बनाए रखने के लिए पति-पत्नी दोनों काम करते हैं। पहले बच्चे के जन्म के बाद महिलाएं घर पर ही रहकर बच्चे की देखभाल करती थीं, लेकिन अब पूरा सिस्टम ही बदल गया है। अब महिलाएं भी अपने पतियों के साथ मिलकर काम करती हैं और अपने परिवार के लिए पैसा कमाती हैं। अगर हम भारत में काम के घंटों की बात करें तो वे बहुत ऊंचे हैं।
यहां आपको ऑफिस में दिन में नौ घंटे काम करना पड़ता है और फिर घर से ऑफिस तक पहुंचने में समय लगता है। ऐसे में वे दिन में 11 से 12 घंटे काम करते हैं और फिर घर आकर घर के काम करते हैं। ऐसी स्थिति में माता-पिता थक जाते हैं और अपने बच्चे के लिए समय नहीं निकाल पाते। शार्क टैंक की जज नमिता थापर ने भी कुछ ऐसा ही कहा है।

लिंक्डइन पर एक लंबे पोस्ट में नमिता ने लिखा, "सप्ताह में 70 घंटे काम करना बंद कर दीजिए और यदि आप ऐसा नहीं करना चाहते हैं, तो आपको माता-पिता बनने की जरूरत नहीं है।" नमिता स्वयं दो बच्चों की मां हैं और उनके 19 और 14 वर्ष के दो बेटे हैं। जानिए नमिता भारत में माता-पिता के कामकाज के तरीकों के बारे में क्या कहती हैं।

नमिता कहती हैं कि बच्चों का दिमाग बहुत नाजुक होता है। वह अपने माता-पिता को अपना आदर्श मानते हैं। जब उन्हें लगता है कि वे अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं और उन्हें उन पर शर्म आती है, तो इसका बच्चे पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
यदि इस स्थिति में उसके दोस्त भी बच्चे को परेशान करने लगें तो उसके लिए स्थिति और भी खराब हो जाती है। बच्चा खुद से नफरत करने लगता है, उसका आत्मविश्वास कम हो जाता है और उसे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगती हैं। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, वह इन सब चीजों को संभालने में सक्षम नहीं रह जाता।

नमिता ने अपने पोस्ट में अपने बचपन और माता-पिता के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता के इरादे अच्छे थे, लेकिन उनके काम के कारण उनमें कई वर्षों तक आत्मविश्वास की कमी रही और वह भावनात्मक रूप से कमजोर हो गयीं। हालांकि, उन्होंने खुद हिम्मत दिखाई और मजबूत बनी रहीं, लेकिन हर कोई ऐसा नहीं कर सकता।

इस समस्या से बचने का उपाय यह है कि आप अपने बच्चे को अपने निर्णय स्वयं लेने दें, उसे सीखने का अवसर दें और उसे अपना रास्ता स्वयं तय करने दें। आपको बस अपने बच्चे को यह बताना है कि आपको उस पर गर्व है।