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'अब जिस वर्ष कमाई, उसी वर्ष टैक्स', छोटे व्यापारियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए बड़ा बदलाव

देश की टैक्स प्रणाली में कई दशकों के बाद बड़ा बदलाव होने जा रहा है। सोमवार को लोकसभा में आयकर बिल 2025 पेश होना था, लेकिन हंगामे के कारण पेश नहीं हो सका। नया आयकर बिल 1961 से चले आ रहे पुराने आयकर कानून को पूरी तरह से बदल देगा। इससे कर चुकाने वाले हर व्यक्ति पर असर पड़ेगा, चाहे वह वेतनभोगी व्यक्ति हो, छोटा व्यापारी हो या फ्रीलांसर हो।
इस नए कानून की विशेषता क्या है?
सरकार का दावा है कि नया कानून छोटा, सरल और सीधा है। पुराने कानून में जहां 819 धाराएं और 47 अध्याय थे, तो नए ड्राफ्ट में इसे घटाकर 536 धाराएं और 23 अध्याय कर दिए गए हैं। इतना ही नहीं, कानून की परिभाषा भी आधी कर दी गई है। अब इसे पढ़ने और समझने में आसानी होगी। सरल भाषा में 57 तालिकाएं जोड़ी गई हैं जो पहले केवल 18 थीं। इसका उद्देश्य है कम भ्रम, कम मामले और अधिक स्पष्टता।

अभी तक हमारी जो सामान्य समझ थी उसके अनुसार हमें इस वर्ष की आय पर अगले वर्ष टैक्स भरना है, जो अब बदल जाएगा। नया कानून कहता है कि जिस वर्ष आप कमाई करेंगे, उसी वर्ष उस पर इनकम टैक्स चुकाना होगा यानी, 'आकलन वर्ष' और 'पिछला वर्ष' जैसी परिभाषाएं हटाई जा रही हैं और सिर्फ एक ही सरल शब्द 'कर वर्ष' लाया जा रहा है।
क्यों जरूरी है यह बदलाव?
पुराने कानून में 1,200 से अधिक प्रावधान और 900 स्पष्टीकरण थे, जिसके कारण हर टैक्सपेयर भ्रमित हो जाता था। इससे जुड़ी कई कानूनी लड़ाइयां भी चलती रहीं। सरकार चाहती है कि यह नया कानून इस भ्रम को खत्म करे और आम आदमी के लिए टैक्स चुकाना आसान हो जाए।

किन्हें-किन्हें होगा सीधा फायदा?
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नौकरी-व्यवसाय वाले लोग: टैक्स कैलकुलेशन और फाइलिंग अब आसान होगी।
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व्यापारी और स्टार्टअप्स: TDS और TCS जैसे नियम अधिक स्पष्ट होंगे।
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NGO और चैरिटेबल ट्रस्ट: उनके लिए भी स्पष्ट दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए हैं।
अब आगे क्या होगा?
21 जुलाई से शुरू हुआ मानसून सत्र 21 अगस्त तक जारी रहेगा। इस दौरान, इस बिल पर संसद में चर्चा की जाएगी और सुझाव जोड़े जा सकते हैं। यदि यह कानून बनता है तो इसे भारत की टैक्स व्यवस्था में सबसे बड़ा सुधार माना जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि यह नया कानून ईमानदार करदाताओं के लिए राहत लाएगा और देश में टैक्स व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद बनाएगा।
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