क्या आप जानते हैं जलाभिषेक और रुद्राभिषेक में अंतर? जानिए क्या है पूजा के नियम और महत्त्व

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शिव भक्तों के लिए श्रावण मास का विशेष महत्व होता है। यह पूरा महीना भगवान शिव की आराधना, व्रत, उपवास और कांवड़ यात्रा के लिए विशेष महत्व रखता है। श्रावण मास में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार की पूजा की जाती हैं, जिनमें जलाभिषेक और रुद्राभिषेक प्रमुख हैं। जो वैदिक मंत्रों और विशेष सामग्री के साथ किया जाता है। कई बार लोग इन दोनों पूजा विधियों को एक ही समझ लेते हैं, जबकि दोनों में बड़ा अंतर होता है।

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क्या है जलाभिषेक?
जलाभिषेक का सीधा अर्थ है भगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग का जल से अभिषेक करना। यह शिव पूजा की एक अत्यंत सरल और सामान्य विधि है, जिसे कोई भी भक्त अपने घर पर या मंदिर में कर सकता है। इस विधि में शिवलिंग पर पवित्र जल अर्पित किया जाता है।  मान्यता है कि जल से अभिषेक करने से भगवान शिव को शीतलता मिलती है और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 

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क्या है रुद्राभिषेक?
रुद्राभिषेक शिव पूजा की एक अधिक विस्तृत और विशेष विधि है। रुद्राभिषेक में ब्राह्मणों द्वारा वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए शिवलिंग पर दूध, शहद, दही, घी और शुद्ध जल सहित पांच पवित्र द्रव्यों से अभिषेक किया जाता है। इसमें केवल जल नहीं, बल्कि पांच पवित्र द्रव्यों  दूध, शहद, दही, घी और शुद्ध जल सहित अन्य सामग्री का उपयोग करके शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। यह पूजा विधि विशेष रूप से मानसिक शांति, ग्रह दोषों की शांति, संतान सुख, रोग मुक्ति और मनोकामना पूर्ति के लिए की जाती है। घर पर रुद्राभिषेक करते समय शिवलिंग को उत्तर दिशा में स्थापित करना चाहिए और पूज करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके अभिषेक करना चाहिए।

जलाभिषेक हो या रुद्राभिषेक किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? 

  • शिव पूजा में तुलसी के पत्ते वर्जित माने जाते हैं, अतः इनका प्रयोग बिल्कुल न करें।
  • अभिषेक करते समय मन को शांत और एकाग्र रखें। इस दौरान बातचीत करने से बचें।
  • मंत्रों का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट करें। गलत उच्चारण से बचें।
  • यदि आप जल से अभिषेक कर रहे हैं, तो इसके लिए तांबे के पात्र का उपयोग सबसे शुभ माना जाता है।
  • रुद्राभिषेक के दौरान रुद्राष्टाध्यायी या अन्य वैदिक मंत्रों का जाप अत्यंत फलदायक होता है।
  • घर पर रुद्राभिषेक करते समय शिवलिंग को उत्तर दिशा में स्थापित करें और स्वयं पूर्व दिशा की ओर मुख करके अभिषेक करें।
  • सावन मास में नियम और पूर्ण विधि-विधान के साथ किया गया जलाभिषेक या रुद्राभिषेक भगवान शिव की असीम कृपा दिलाता है। यह
  • जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मकता का संचार करता है, और भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है।

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