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गुजरात पुल हादसा: 18 मौतों के जिम्मेदार कौन ? आप खुद ही निर्णय कर लिजिये

गुजरात के वडोदरा ज़िले में स्थित 40 साल पुराना गंभीर पुल 9 जुलाई 2025 को अचानक ढह गया, जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हुए या लापता हैं। यह हादसा केवल एक ढांचा टूटने की त्रासदी नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और वर्षों से अनदेखी की गई चेतावनियों का परिणाम है।
2021 से मिल रही थी चेतावनियाँ – The Indian Express
The Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय ग्रामीणों और पंचायत अधिकारियों ने 2021 से ही पुल की खराब स्थिति की लगातार जानकारी दी थी। ग्रामीणों ने इसे "सुसाइड पॉइंट" तक कह दिया था, क्योंकि इसमें दरारें, कंपन और खतरनाक खाली जगहें दिखाई देती थीं। 2022 में भेजे गए एक पत्र में साफ़ तौर पर चेताया गया था कि पुल कभी भी गिर सकता है।
उपयोग के लिए अयोग्य" घोषित, फिर भी चुप्पी –Times of India
Times of India के अनुसार, एक तकनीकी परीक्षण में पुल को “उपयोग के लिए अयोग्य” बताया गया था लेकिन यह रिपोर्ट दबाकर रख दी गई, और उस पर कोई कारवाई नहीं हुई।
संरचनात्मक मज़बूती घटकर 30-35% – Ahmedabad Mirror
Ahmedabad Mirror ने खुलासा किया कि पुल की संरचनात्मक ताकत सिर्फ 30-35% बची थी। 2020 की बाढ़ में इसकी नींव का क्षरण हुआ था, और उस पर लगातार भारी कंटेनर ट्रकों का दबाव बना रहा। हालांकि 2023 में मामूली मरम्मत हुई थी, लेकिन मुख्य समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
10 वर्षों से निरीक्षण नहीं – प्रशासनिक लापरवाही
सड़क एवं भवन विभाग के पास मानसून सुरक्षा जांच की प्रक्रिया है, परंतु पिछले 10 वर्षों में कोई संपूर्ण निरीक्षण नहीं किया गया। 2024 में एक नई नीति लाई गई, लेकिन इसके पालन में घोर विफलता रही।
गंभीर पुल हादसा कोई आकस्मिक दुर्घटना नहीं थी, बल्कि पूरी तरह से टाली जा सकने वाली त्रासदी थी। वर्षों की अनदेखी, दबी हुई रिपोर्ट्स, और ढांचागत सुधारों की कमी ने इस त्रासदी को जन्म दिया। यह घटना अब जर्जर हो चुके बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक निष्क्रियता की भयावह याद दिलाती है।