- Hindi News
- बिजनेस
- सूरत डायमंड कैरेट एक्सपो में 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा का कारोबार, हीरा उद्योग में लौटी रौनक
सूरत डायमंड कैरेट एक्सपो में 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा का कारोबार, हीरा उद्योग में लौटी रौनक

पिछले तीन सालों से मंदी का सामना कर रहे भारतीय हीरा उद्योग के लिए आखिरकार एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। आशा की एक नई किरण के रूप में हाल ही में आयोजित छठे कैरेट-सूरत डायमंड एक्सपो-2025 ने उम्मीद से कहीं बेहतर प्रतिक्रिया प्राप्त की है, जिससे उद्योग में खुशी की लहर दौड़ गई है। जिसका सीधा असर अब सूरत के स्थानीय बाजार पर भी दिख रहा है।
सूरत जिसे दुनिया की डायमंड हब के रूप में जाना जाता है, यहां का हीरा उद्योग लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है और देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। हालांकि, पिछले कुछ समय से वैश्विक आर्थिक मंदी के चलते उद्योग को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। उत्पादन में कमी, बेरोजगारी व्यापारियों और कारीगरों दोनों के मनोबल को गिरा दिया था। ऐसे में यह सफल प्रदर्शनी सूखे में पानी की बूंद जैसी साबित हुई है, जो बाजार में नए उत्साह का संचार कर रही है।

सूरत डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश खुंट ने इस प्रदर्शनी की सफलता पर खुशी व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय यह भव्य प्रदर्शनी एक निजी होटल में आयोजित की गई थी, जिसमें देश-विदेश से बड़ी संख्या में हीरा उद्योगपतियों और खरीदारों ने भाग लिया। प्रदर्शनी में मौजूद हर व्यापारी के चेहरे पर एक नई चमक और खुशी साफ दिखाई दे रही थी। श्री खुंट ने जोर देकर कहा कि इस तरह के आयोजन न केवल व्यापार को बढ़ावा देते हैं, बल्कि उद्योग से जुड़े सभी में विश्वास भी पैदा करते हैं।
उद्योग जगत से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कैरेट-सूरत डायमंड एक्सपो-2025 में 100 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा का रिकॉर्ड-तोड़ कारोबार हुआ है। यह आंकड़ा न केवल प्रदर्शनी की सफलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी इंगित करता है कि बाजार में उपभोक्ता मांग फिर से बढ़ रही है। इस बड़े व्यापारिक लेनदेन से छोटे और बड़े दोनों तरह के व्यापारियों को फायदा हुआ है, और इससे कैश फ्लो में भी सुधार आया है, जो लंबे समय से एक बड़ी चुनौती बना हुआ था।
About The Author

Lorem Ipsum is simply dummy text of the printing and typesetting industry. Lorem Ipsum has been the industry's standard dummy text ever since the 1500s, when an unknown printer took a galley of type and scrambled it to make a type specimen book. It has survived not only five centuries, but also the leap into electronic typesetting, remaining essentially unchanged. It was popularised in the 1960s with the release of Letraset sheets containing Lorem Ipsum passages, and more recently with desktop publishing software like Aldus PageMaker including versions of Lorem Ipsum.