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सांसद राजकुमार ने भील क्षेत्र का नक्शा जारी किया, राजस्थान में सियासत गरमाई

आदिवासियों की 1913 से चली आ रही भील राज्य बनाने की मांग अब तेज़ी से बढ़ रही है। मंगलवार को भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) ने आदिवासी बहुल इलाके में विशाल प्रदर्शन किया। साथ ही प्रशासन को एक ज्ञापन भी दिया। यह मामला तब और गरमा गया जब बांसवाड़ा-डूंगरपुर से आदिवासी सांसद राजकुमार राउत ने सोशल मीडिया पर भील राज्य का नक्शा जारी किया। इसमें राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के 11 आदिवासी इलाके शामिल हैं। सांसद राजकुमार राउत भारतीय आदिवासी पार्टी के पहले सांसद हैं, जो बांसवाड़ा-डूंगरपुर से जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। विधायक रहते हुए भी उन्होंने विधानसभा में यह मांग उठाई थी और अब सांसद बनने के बाद उन्होंने संसद में भी यह मांग उठाई है।
सोशल मीडिया पर भील प्रदेश का नक्शा पोस्ट करते हुए सांसद ने दावा किया है कि यह मांग लगभग 100 साल पुरानी है। वर्ष 1913 में गोविंद गुरु के नेतृत्व में मानगढ़ की पहाड़ियों पर 1500 से अधिक आदिवासी शहीद हुए थे। स्वतंत्रता के बाद भील प्रदेश को चार भागों में विभाजित कर यहां के लोगों के साथ अन्याय किया गया। गुरु गोविंद सिंह के नेतृत्व में शहीद हुए 1500 से अधिक शहीदों के सम्मान में भील प्रदेश को एक राज्य के रूप में गठित किया जाना है। जारी मानचित्र में चार राज्यों के आदिवासी बहुल जिलों को मिलाकर एक अलग राज्य बनाने की बात कही गई है। इसमें राजस्थान के आदिवासी बहुल क्षेत्रों, जिनमें डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, प्रतापगढ़, कोटा, बारां, सिरोही, जालौर, बाड़मेर, पाली और चित्तौड़गढ़ शामिल हैं, के साथ-साथ मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल क्षेत्रों के लगभग 20 पूरे जिले और 19 अन्य जिलों के कुछ हिस्से शामिल होंगे।

पहले भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) और फिर अपनी भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीएपी) बनाने के बाद, राजकुमार राउत लगातार भील प्रदेश की मांग उठाते रहे हैं। 2024 के चुनावों के बाद, जून 2024 में इसी मांग के साथ वे अपनी पार्टी के विधायकों के साथ टी-शर्ट पहनकर विधानसभा पहुंचे। जब वे सांसद चुने गए, तो उन्होंने दिसंबर 2024 में लोकसभा में भी यही मांग दोहराई।
इस प्रकार, भारतीय आदिवासी पार्टी राजस्थान के आदिवासी इलाकों में लगातार अपनी पैठ बना रही है, जो कांग्रेस और भाजपा के लिए सबसे बड़ा राजनीतिक संकट भी साबित हो रहा है। इस समय, राजकुमार राउत की पार्टी राजस्थान विधानसभा में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बाद 3 विधायकों के साथ तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद राजकुमार राउत स्वयं अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। राजस्थान के बांसवाड़ा में आदिवासियों के सबसे बड़े धार्मिक स्थल मानगढ़ को राष्ट्रीय तीर्थस्थल का दर्जा देने की मांग के साथ कई लोग आदिवासियों में पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

राजकुमार राउत ने कहा कि आदिवासी इलाकों में आदिवासियों को उनकी ज़मीन से बेदखल किया जा रहा है। सरकार की बुनियादी सुविधाएँ उन तक नहीं पहुँच रही हैं। ऐसे में बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तथा जल, जंगल और ज़मीन पर अधिकार के लिए एक अलग भील राज्य का निर्माण ज़रूरी है। भील क्षेत्र सिर्फ़ एक भूगोल नहीं, बल्कि एक पहचान की तलाश के लिए ज़रूरी है।
गौरतलब है कि भील गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान में एक अनुसूचित जनजाति है। भील त्रिपुरा और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के थारपारकर ज़िले में भी रहते हैं। भील जनजाति भारत और पाकिस्तान में फैली हुई है। 2011 की जनगणना के अनुसार, पूरे देश में 1.7 करोड़ भील हैं। इनकी सबसे ज़्यादा संख्या मध्य प्रदेश में लगभग 60 लाख है। इसके बाद गुजरात में 42 लाख, राजस्थान में 41 लाख और महाराष्ट्र में 26 लाख की आबादी है। भगवान शिव और दुर्गा की पूजा के अलावा, यह जनजाति वन देवताओं की भी पूजा करती है।
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