कांग्रेस से दूर जा रहे हैं शशि थरूर? बोले - बदल गई है देश की राजनीति, मैंने भी बढ़ाए कदम

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शशि थरूर को अक्सर कांग्रेस के 'विद्रोही लेकिन विद्वान' नेता के तौर पर जाना जाता है, लेकिन इस बार उन्होंने जो कहा है, वह सिर्फ चर्चा ही नहीं, बल्कि पार्टी में मंथन और बेचैनी की वजह बन गया है। थरूर ने साफ कह दिया है कि देश की राजनीति कांग्रेस की वामपंथी-मध्यमार्गी विचारधारा से निकलकर अब एक अधिक 'मजबूत राष्ट्रवादी' दिशा में चली गई है, जहां करिश्माई और केंद्रीय नेतृत्व की मांग है। यह कोई सामान्य विश्लेषण नहीं है, बल्कि थरूर का संकेत है कि वे खुद इस बदलाव को स्वीकार करते हैं और उसकी ओर 'कदम' बढ़ा चुके हैं। उन्होंने न तो बीजेपी का नाम लिया और न ही मोदी का, लेकिन जो बात छिपाई गई, वह शब्दों के चुनाव से खुद-ब-खुद स्पष्ट हो गई। थरूर का यह बयान ऐसे समय आया है जब वे पहले ही इमरजेंसी को 'काला अध्याय' कह चुके हैं और कांग्रेस नेतृत्व इस पर मौन है। इससे पहले, वे विदेश नीति और ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा कर चुके हैं। ऐसे में 'हम अब करिश्माई और केंद्रीय नेतृत्व की ओर आगे बढ़ चुके हैं' कहना कांग्रेस की विचारधारा और कार्यशैली से एक स्पष्ट दूरी दर्शाता है।

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किसी का नाम लिए बिना कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने उन पर निशाना साधते हुए कहा था कि, 'जब कोई बीजेपी की भाषा बोलने लगे तो, पक्षी तोता बन जाता है।' दिलचस्प बात यह है कि पिछले महीने इसी 'तोते' वाले ताने से थरूर ने कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे पर पलटवार किया था।
बीजेपी ने थरूर के बयान को 50 साल बाद कांग्रेस की आंखें खुलने जैसा बताया। प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि अगर कांग्रेस थरूर के विचारों से असहमत है, तो इसका मतलब है कि वह आज भी इमरजेंसी की मानसिकता में जी रही है। उन्होंने यह भी कहा कि, 'अब अगर कांग्रेस को अपने ही सांसद द्वारा सच बोलने पर बुरा लगता है, तो यह आंतरिक तानाशाही है।' बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि, एक बार फिर शशि थरूर ने कांग्रेस को आईना दिखाया है। थरूर ने मान लिया कि पहले कांग्रेस की लेफ्ट की नीति रहती थी। कांग्रेस राष्ट्रीय हित को नहीं, परिवार हित और वोट बैंक के हित को आगे रखती थी।

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राजनीतिक गलियारों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या शशि थरूर वाकई कांग्रेस से दूर जा रहे हैं? क्या वे बीजेपी में जाएंगे? या फिर वे कांग्रेस में 'विचारों का विद्रोह' शुरू कर रहे हैं? थरूर ने न तो पार्टी छोड़ी है और न ही भविष्य को लेकर कुछ कहा है, लेकिन उनके बयानों की रेखाएं अब पार्टी की मुख्यधारा से मेल नहीं खातीं। कुल मिलाकर थरूर का यह बयान सिर्फ एक इंटरव्यू नहीं है, बल्कि कांग्रेस के लिए 'रेड अलर्ट' है। पार्टी को तय करना होगा कि क्या वह शशि थरूर जैसे नेताओं की विचारसरणी को जगह देगी या उन्हें दूसरे 'भूले बिसरे नेता' की लाइन में खड़ा कर देगी।

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