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युवाओं में कैंसर के केस बढ़ रहे हैं, लेकिन डरने की ज़रूरत नहीं!

अमेरिका में JAMA Internal Medicine द्वारा किए गए लेटेस्ट अध्ययन की रिपोर्ट कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देती है। रिपोर्ट दिखाती है कि युवाओं यानी 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में कैंसर के केस बढ़ रहे हैं। लेकिन इसके पीछे का कारण चौंकाने वाला है। यह अध्ययन बताता है कि केसों की संख्या बढ़ने का कारण आधुनिक डायग्नोसिस तकनीकें और लोगों में कैंसर को लेकर जागरूकता है। यह अच्छी बात है, क्योंकि अगर पहले से निदान हो जाए तो सही इलाज किया जा सकता है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, केसों की संख्या बढ़ी है लेकिन इससे घबराने की ज़रूरत नहीं क्योंकि मृत्यु दर में कोई इज़ाफा नहीं हुआ है। कुछ मामलों में तो मृत्यु दर में कमी भी आई है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो नए डायग्नोसिस तरीकों की वजह से केसों की संख्या बढ़ रही है। इससे सटीक और गहराई से जांच हो सकती है। यह अच्छी बात है। साथ ही, दूसरी अच्छी बात यह है कि मृत्यु दर में वृद्धि नहीं हुई है।
तो आइए देखते हैं इस अध्ययन के मुख्य पॉइंट्स:
1. नए केस बढ़ने का मुख्य कारण स्क्रींनिंग: अध्ययन बताता है कि 50 साल से कम उम्र के लोगों में कैंसर केस बढ़ने का सबसे बड़ा कारण बेहतर और नियमित स्क्रींनिंग तथा गहन जांच है।
2. मृत्यु दर स्थिर: ज्यादातर कैंसर (जैसे थायरॉयड, किडनी, गुदा, पैंक्रियाज़) में केस बढ़ने के बावजूद युवाओं में मृत्यु दर में कोई बदलाव नहीं हुआ या फिर उसमें कमी आई है।
3. ज्यादा जोखिम वाले कैंसर: अध्ययन में शामिल 8 कैंसर में से सिर्फ 2 – कोलोरेक्टल (आंत) और एंडोमेट्रियल – में मृत्यु दर में हल्का इज़ाफा देखा गया।
4. स्तन और कोलोरेक्टल कैंसर: इन दोनों कैंसरों के केस युवाओं में बढ़े हैं, लेकिन जल्दी निदान और उपचार (जैसे इम्यूनोथेरेपी) की वजह से मृत्यु दर लगभग आधी हो गई है।
5. जल्दी स्क्रींनिंग: जल्दी निदान को संभव बनाने के लिए अमेरिका में स्तन कैंसर की स्क्रींनिंग की उम्र 50 से घटाकर 40 और कोलन कैंसर की स्क्रींनिंग की उम्र 50 से घटाकर 45 कर दी गई है।
अमेरिकी डॉक्टरों का कहना है कि जैसे-जैसे अधिक शक्तिशाली जांच तकनीकें सामने आ रही हैं, वैसे-वैसे ऐसे कैंसर भी पकड़े जा रहे हैं जो शायद कभी मरीज के स्वास्थ्य को नुकसान ही न पहुंचाते। ऐसे कैंसर का इलाज करना जो "क्लीनिकली मायने रखने वाला" यानी खतरनाक नहीं है, युवा मरीजों पर आर्थिक बोझ और मानसिक तनाव डालता है। डॉक्टरों का मानना है कि हर कैंसर के लिए तुरंत इलाज करने के बजाय यह मूल्यांकन करना ज़रूरी है कि वह वाकई खतरनाक है या नहीं। अगर गांठ छोटी है, तो मरीज की सहमति से उसकी लगातार मॉनिटरिंग करना बेहतर रणनीति है।
About The Author

Dr. Dinky Gajiwala, DNB (Medicine), DNB (Medical Oncology), is a dedicated Medical Oncologist and Consultant at Hope Cancer Clinic, Surat. She specializes in comprehensive cancer treatment and is passionate about empowering patients through education and awareness. With a strong presence on social media, Dr. Gajiwala actively spreads reliable information on breast cancer, chemotherapy, immunotherapy, and other critical aspects of oncology, making cancer care more accessible and understandable for all.