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जिस हाई स्कूल में गांधीजी ने पढ़ाई की, वह अब अंतरराष्ट्रीय स्तर का म्यूजियम, जहां दिखता है मोहन से महात्मा तक का सफर

राजकोट। राजकोट स्थित ऐतिहासिक अल्फ्रेड हाई स्कूल। यह वहीं स्कूल है जहां महात्मा गांधी ने पढ़ाई की थी। यह स्कूल को राज्य सरकार ने धरोहर में बदल दिया है। दरअसल, गांधी म्यूजियम में तब्दील यह स्कूल फिर से इसलिए चर्चा में है, क्योंकि 26 करोड़ रुपये की लागत से अंतरराष्ट्रीय स्तर के म्यूजियम में परिवर्तित किया गया। 30 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका लोकार्पण किया था। इस म्यूजियम में ‘मोहन से महात्मा’ तक बापू के जीवन को दर्शाने वाली 40 गैलरियां और भारत का सबसे बड़ा 3डी मैपिंग शो जैसे विशेष आकर्षण हैं। इस भव्य परियोजना के रखरखाव पर पिछले 7 वर्षों में राजकोट नगर निगम द्वारा 11 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च किया गया है, जबकि इसके मुकाबले में आय मात्र 15 से 20 लाख रुपये ही हुई है। अब तक 2,417 विदेशियों सहित कुल 3,59,544 लोगों ने म्यूजियम का दौरा किया है। खर्च की तुलना में आगंतुकों की संख्या कम रहने के कारण यह माना जा रहा है कि संस्था गांधी विचारों के प्रचार के मूल उद्देश्य में सफल नहीं हो पाई है।

गांधी जयंती पर 12 वर्ष तक बच्चों को मुफ्त प्रवेश दी गई
बता दें कि गांधी जयंती के अवसर पर 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए म्यूजियम में नि:शुल्क प्रवेश की घोषणा की गई। अहिंसा दिवस पर सुप्रसिद्ध कलाकार साईंराम दवे और उनकी टीम द्वारा ‘गांधी धुन’ कार्यक्रम का विशेष आयोजन किया गया।
म्यूजियम के रखरखाव पर 2.75 करोड़ रुपये का खर्च
राजकोट शहर के जवाहर रोड पर स्थित अल्फ्रेड हाईस्कूल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अनुभव केंद्र बनाया गया है। 26 करोड़ रुपये की लागत से राजकोट नगर निगम ने इस म्यूजियम को तैयार किया था। इसका लोकार्पण 30 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। ग्राउंड फ्लोर और प्रथम तल पर कुल 40 गैलरियां बनाई गई हैं, जिनमें बापू के मोहन से महात्मा बनने तक की जीवन यात्रा को प्रदर्शित किया गया है। म्यूजियम की वार्षिक रखरखाव लागत लगभग 2.75 करोड़ रुपये है, जबकि फिलहाल आय 15 से 20 लाख रुपये तक ही है। नगर निगम ने भविष्य में आय बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास करने की बात कही है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर का म्यूजियम बनाया गया
राजकोट के जवाहर रोड पर स्थित अल्फ्रेड हाईस्कूल में 1880 से 1887 के बीच महात्मा गांधी ने शिक्षा प्राप्त की थी। इस हाईस्कूल को नगर निगम द्वारा म्यूजियम में परिवर्तित किया गया। सरकार ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का म्यूजियम बनाने का निर्णय लिया ताकि देश और दुनिया के लोग बापू के छात्र जीवन को जान और समझ सकें। इसी उद्देश्य से सत्यपीठ म्यूजियम की स्थापना की गई। इसका लोकार्पण 30 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।

गांधीजी के सत्याग्रह आंदोलनों की झलक दिखाई देती है
म्यूजियम में कुल 40 गैलरियां हैं, जिनमें 20 ग्राउंड फ्लोर पर और 20 पहली मंजिल पर स्थित हैं। इसके अलावा म्यूजियम के भीतर दो बड़े हॉल भी बनाए गए हैं। इनमें से 11 बड़ी गैलरियों में गांधीजी द्वारा किए गए सत्याग्रह आंदोलनों की झलक दिखाई गई है। यहां 20 मिनट का 3डी शो भी दिखाया जाता है, जो भारत का सबसे बड़ा 3डी मैपिंग शो माना जाता है।
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