उद्यमियों ने कहा- रेडीमेड गारमेंट्स का निर्माण बड़े पैमाने पर शुरू हो जाए तो सूरत के टेक्सटाइल उद्योग को नया बढ़ावा मिलेगा

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सूरत। कपड़ा नगरी सूरत में गारमेंट उद्योग का भविष्य काफी सुनहरा है। ये चर्चा दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के ग्लोबल फैब्रिक रिसोर्स एंड रिसर्च सेंटर (जीएफआरआरसी) में हुई। दरअसल, इस समय सूरत में टेक्सटाइल वीक चल रहा है। इसमें सूरत में गारमेंट्स का भविष्य विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार का उद्देश्य सूरत के कपड़ा उद्योगपतियों को गारमेंट निर्माण के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करना है। अभी तक सूरत साड़ियों और फैब्रिक निर्माण के लिए अग्रणी माना जाता है। यहां की साड़ियां तो विश्व प्रसिद्ध है। लेकिन अब गारमेंट्स को लेकर भी विशेष फोकस किया जा रहा है। बदलते समय के साथ यह महसूस किया जाने लगा है कि रेडीमेड के लिए भी तैयारी करना जरूरी है।

 इसी मुद्दे पर सूरत में गारमेंट उद्योग के भविष्य की विस्तृत तस्वीर पेश की गई। चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष निखिल मद्रासी ने इस दौरान कहा कि बदलती बाजार मांग, नए युवा वर्ग की क्रय शक्ति और वैश्विक स्तर पर डिजिटल प्लेटफॉर्म के बढ़ते उपयोग को देखते हुए, गारमेंट उद्योग में असीमित संभावनाएं हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सूरत में गारमेंट निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने की क्षमता है, और इसलिए उन्होंने उद्योगपतियों को स्थानीय स्तर पर मूल्य संवर्धन, ब्रांडिंग और नवाचार में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सूरत अब केवल एक टेक्सटाइल सिटी ही नहीं, बल्कि रेडीमेड गारमेंट्स के हब के रूप में भी उभर सकता है।

सूरत में बच्चों के कपड़ों पर काफी काम हो रहा है

सूरत में गारमेंट उद्योग की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। सूरत में बच्चों के कपड़ों पर तो काफी काम हो रहा है, लेकिन यदि रेडीमेड गारमेंट्स का निर्माण बड़े पैमाने पर शुरू हो जाए, तो सूरत के टेक्सटाइल उद्योग को एक नया बढ़ावा मिलेगा। ये बात गिन्नी ग्रुप के निदेशक रमेश लोहिया ने कही। उन्होंने कहा कि धागे से लेकर कपड़े के व्यापार तक की पूरी शृंखला सूरत में ही विकसित हो जाएगी। उन्होंने युवा उद्यमियों को गारमेंटिंग में निवेश करने की सलाह देते हुए कहा कि यही एकमात्र उद्योग है जो 100 रुपये के उत्पाद पर 1000 रुपये तक का मूल्यवर्धन कर सकता है।

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