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देश को मिला अत्याधुनिक जहाज आईएनएस अर्णाला, महाराष्ट्र के किले के नाम पर रखा गया है
दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने और ताबड़तोड़ फायरिंग करने में माहिर

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के लिए 18 जून 2025 यादगार बनने जा रहा है। ऐसा इसलिए कि अर्णाला युद्धपोत नौसेना में शामिल हो रही है। यह पहला पनडुब्बी रोधी शैलो वाटर क्राफ्ट है। इसमें पाकिस्तान और चीन की सबमरीन नष्ट हो जाएंगी। इसे विशाखापट्टनम के नेवी डॉकयार्ड में कमीशन किया जाएगा। यह आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है। इसका नारा अर्णवे शौर्यम् समुद्र में साहस को दिखाता है। इसका नामाकरण महाराष्ट्र के वसई के ऐतिहासिक अर्णाला किले के नाम पर किया गया है। यह जहाज हिंद महासागर में नौसेना की दमदार मौजूदगी के लिए डिजाइन किया गया है। जो उथले पानी में दुश्मन पनडुब्बियों का पता लगाने, ट्रैक और डिएक्टिवेट करेगा। मेसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स कोलकाता और मेसर्स एल एंड टी शिपबिल्डर्स के साथ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत डिजाइन और बनाया गया है। अर्णाला डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर भारत की सफलता का प्रमाण है। उल्लेखनीय है कि 15 जनवरी 2025 को तीन वॉरशिप आईएनएस सूरत (डिस्ट्रॉयर), आईएनएस नीलगिरि (स्टेल्थ फ्रिगेट) और आईएनएस वाघशीर (सबमरीन) कमीशन किए थे। ये तीनों अल्ट्रा-मॉर्डन वॉर शिप से नेवी की ताकत और बढ़ी है।
इस युद्धपोत पर एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर लगा होगा
इस युद्धपोत पर एक आरबीयू-6000 एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर लगा होगा। यह 213 मिलिमीटर की एंटी-सबमरीन रॉकेट सिस्टम है, जो दुश्मन की पनडुब्बियों के ऊपर ताबड़तोड़ रॉकेट फायरिंग करता है। इसके अलावा इस पर 6 हल्के वजन वाले एएसडब्लू टॉरपीडो लगाए जाएंगे। आईएनएस अर्णाला पर 30 मिमी की एक गन होगी जो हर मिनट 550 गोलियां दाग सकती है इसकी रेंज 4 किलोमीटर है। यह भारतीय नौसेना का वाटर जेट प्रोपल्शन पावर्ड सिस्टम से लैस सबसे बड़ा युद्धपोत होगा। 2025 तक, भारतीय नौसेना के पास लगभग 135 से ज्यादा युद्धपोत सक्रिय सेवा में हैं। इनमें विभिन्न प्रकार के जहाज शामिल हैं। वहीं आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत समेत 2 मॉडर्न विमानवाहक पोत हैं।
इसकी मुख्य विशेषताएं
इसमें पनडुब्बियों का पता लगाने और नष्ट करने की क्षमता है। वहीं, समुद्र में फंसे लोगों को बचाने में भी ये कारगर है। इसके साथ ही छोटे समुद्री खतरों से निपटने में सक्षम है। मजबूत पतवार जो समुद्री चुनौतियों को सहन कर सकता है। अत्याधुनिक तोपें और सेंसर, जो पुराने किलों की तोपों की तरह काम करते हैं। इसकी रेंज 3300 किलोमीटर है। इस युद्धपोत पर 7 अधिकारियों समेत 57 नौसैनिक तैनात हो सकते हैं।
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