पृथ्वी पर इतना सारा पानी कहां से आया? अंतरिक्ष से या जमीन से...! ये रहा जवाब

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पृथ्वी पर पानी की उत्पत्ति को लेकर वैज्ञानिक हमेशा असमंजस में रहे हैं। जीवन के लिए आवश्यक यह तरल पदार्थ केवल हमारे ग्रह पर ही पाया जाता है, इसलिए यह खास है, लेकिन यह केवल हमारे ग्रह पर ही कहां से आया?

पृथ्वी की सतह का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा पानी से ढका है। यह हम सब जानते हैं। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि नदियों, झीलों, समुद्रों और महासागरों में इतना सारा पानी कहां से आया? क्या पृथ्वी सृष्टि की शुरुआत से ही ऐसी थी? यानी, पानी के साथ? या फिर हमारी पृथ्वी एक समय पूरी तरह सूखी थी, यानी, पानी बाद में आया? यह दुनिया भर के शोधकर्ताओं के लिए एक दिलचस्प विषय है।

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हालांकि, अब तक इस पर कई अध्ययन हुए हैं और शोधकर्ताओं ने अलग-अलग तर्क भी दिए हैं। इसी तरह कुछ शोधकर्ता कहते हैं कि लगभग 4.5 अरब यानी 450 करोड़ साल पहले, धूल और गैस मिश्रित बादलों से पानी हमारी दुनिया में आया था। कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि शुरुआत में पृथ्वी सूखी थी और लंबे समय बाद महासागर बने।

पृथ्वी का 71 प्रतिशत हिस्सा पानी है, हमारा शरीर पानी से बना है, हमें जीवित रहने के लिए पानी की जरूरत है। लेकिन यह पृथ्वी पर कहां से आया? क्या कोई क्षुद्रग्रह इसे अपने साथ लाया था या यह पहले से ही यहां मौजूद था? तो आज हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि जीवन की यह सबसे महत्वपूर्ण चीज कहां से आई? आइए इन्हें समझते हैं...

पहला सिद्धांत कहता है कि 450 मिलियन साल पहले जब पृथ्वी का निर्माण हुआ था तब पानी यहां पहले से ही मौजूद था। उस समय पृथ्वी के आवरण परत में मौजूद चट्टानों में ही पानी मौजूद था। शुरुआत में पृथ्वी बहुत गर्म थी, यदि ऐसा होता, तो बहुत गर्मी के कारण पानी भाप में बदल जाना चाहिए था। तापमान 2 हजार डिग्री से अधिक पहुंच गया था।

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इस सिद्धांत के अनुसार, ज्वालामुखी फटने के कारण, यह पानी चट्टानों से बाहर निकला, भाप में बदल गया और वायुमंडल में पहुंचा और फिर बाद में बारिश का पानी बनकर पृथ्वी पर गिरा। विशेषज्ञों का मानना है कि पृथ्वी के अंदर की चट्टानों में महासागरों से 18 गुना अधिक पानी है।

दूसरा सिद्धांत कहता है कि क्षुद्रग्रह बाहर से यहां पानी लाए हैं। भारी बमबारी के दौरान जब वे लगातार पृथ्वी से टकरा रहे थे, तो उन्होंने सतह पर पानी छोड़ दिया। वैज्ञानिकों ने बृहस्पति और मंगल के आसपास कॉन्ड्राइट नामक बर्फीले उल्कापिंडों की खोज की है, जिनके खनिजों में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के परमाणु होते हैं। जबकि, पृथ्वी पर मिला पानी युर्गू नामक क्षुद्रग्रह में भी पाया गया है।

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इसलिए संभव है कि क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं के कारण पानी पृथ्वी पर आया हो। लेकिन पृथ्वी की चट्टानों में पानी एन्स्टेटाइट नामक दूसरे खनिज से बना है, जिसमें हल्के हाइड्रोजन के परमाणु होते हैं, और वैज्ञानिक मानते हैं कि, इतने सारे एन्स्टेटाइट वाले क्षुद्रग्रहों का पृथ्वी पर एक साथ टकराना असंभव है जो हमें इतनी बड़ी मात्रा में पानी दे दें। इसलिए, अभी भी स्पष्ट नहीं है कि पानी वास्तव में पृथ्वी पर कैसे आया।

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