अमेरिकी टैरिफ ने सूरत, कच्छ, अहमदाबाद, राजकोट के कारोबारियों की बढ़ाई चिंता, चनिया-चोली के कारोबार पर असर

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अहमदाबाद। नवरात्रि में अब बस कुछ दिन ही बाकी रह गए हैं। पितृ पक्ष खत्म होते ही 22 सितंबर से नवरात्र शुरू हो जाएगी। यह पर्व गुजरात में काफी प्रसिद्ध है। खासकर गरबा के लिये। व्यापारिक नजरिये से देखें तो कपड़ा व्यापारियों को भी इस त्योहार का इंजतार रहता है। दरअसल, नवरात्रि से पहले चनिया-चोली की मांग देशभर से आने लगती है। सूरत, अहमदाबाद, कच्छ चनिया-चोली के हब के रूप में जाना जाता है। यहां से केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी माल भेजा जाता है। लेकिन अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले ने गुजरात के चनिया-चोली और हैंडीक्राफ्ट बाजार पर इस बार बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। अनुमान है कि इस फैसले से राज्य के लगभग 29,000 करोड़ रुपये के निर्यात कारोबार पर सीधा असर पड़ेगा। खासकर सूरत, कच्छ, अहमदाबाद और राजकोट के व्यापारियों को भारी नुकसान होने की चिंता सता रही है। अमेरिका में चनिया-चोली की भारी डिमांड रहती है, इससे व्यापारियों को भी तगड़ी कमाई होती है।

50 से 70% तक घट सकता निर्यात

नवरात्रि में कच्छ और सौराष्ट्र के हजारों कारीगर महीनों तक बीडवर्क, एप्लिक वर्क, हाथ की कढ़ाई और मशीन कढ़ाई वाले वस्त्र तैयार करते हैं। ये सभी उत्पाद वस्त्र और परिधान श्रेणी में आते हैं, जो सीधे 50% अमेरिकी टैरिफ की जद में आ गए हैं। व्यापारियों का कहना है कि इस फैसले के चलते निर्यात 50 से 70% तक घट सकता है, जिससे हजारों परिवारों की आजीविका पर खतरा संभव है।

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हैंडलूम उत्पादों और हैंडीक्राफ्टस के निर्यात में भारत काफी आगे

भारत के हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी सबसे बड़ी है। बता दें कि साल 2022-23 में भारत से हैंडलूम उत्पादों का निर्यात 4,200 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। इसमें कालीन, शॉल और बेडकवर जैसे उत्पाद शामिल रहे। वहीं, हैंडीक्राफ्ट्स के निर्यात के मामले में भारत काफी आगे रहा। 9,576 करोड़ रुपये से बढ़कर 13,860 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। केवल गुजरात की बात करें तो यहां से हर साल लगभग 29,400 करोड़ रुपये के वस्त्र और हैंडीक्राफ्ट अमेरिका भेजे जाते हैं।

घरेलू बाजार पर उम्मीद, लेकिन फिलहाल संकट बरकरार 

विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत का घरेलू बाजार कुछ हद तक इस झटके को संभाल सकता है, लेकिन तुरंत असर बेहद गंभीर है। नवरात्रि जैसे त्योहारी सीजन में सबसे ज्यादा बिक्री होती है और यही कमाई साल भर कारीगरों की जीविका का आधार बनती है। नई स्थिति ने न सिर्फ व्यापारियों में अनिश्चितता पैदा की है, बल्कि कच्छ और सौराष्ट्र के हजारों कारीगर परिवारों की रोजी-रोटी पर भी संकट खड़ा कर दिया है।

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