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अगर नीम करोली बाबा पर रखते हैं आस्था, तो करें इन जगहों के दर्शन

नीम करोली बाबा को हनुमान जी काभक्त माना जाता है। उनके चमत्कारों के साक्षी बने लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। नीम करोली बाबा से लोगों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है। और कई भक्तों का विश्वास है कि अगर जीवन में कोई परेशानी हो, तो उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम के दर्शन करने से समस्याओं का समाधान हो जाता है। नीम करोली बाबा इस दुनिया में नहीं है। ऐसे में कई लोग सोचते हैं कि कैंची धाम जाकर उन्हें क्या करना चाहिए।
कैंची धाम का महत्व
नीम करोली बाबा का निधन 11 सितंबर 1973 को हुआ था, लेकिन उनकी शिक्षाएं और चमत्कार आज भी लोगों के दिलों में बसे हैं। कैंची धाम, जो 1962 में नीम करोली बाबा द्वारा स्थापित किया गया था, एक ऐसा स्थान है जहां भक्त उनकी स्मृतियों को महसूस कर सकते हैं। कैंची धाम में कई किताबें और जानकार लोग नीम करोली बाबा का संदेश और ज्ञानवर्धक बातें भक्तों तक पहुंचाते हैं। सबसे खास बात यह है कि हर साल 15 जून को कैंची धाम में मेला लगता है।
कैंची धाम आश्रम का मुख्य आकर्षण हनुमान मंदिर है। नीम करोली बाबा को हनुमान जी का अवतार माना जाता है, और इस मंदिर में उनकी उपस्थिति का अनुभव किया जा सकता है। भक्तों का कहना है कि यहां दर्शन करने से उन्हें अद्भुत शांति और सकारात्मक ऊर्जा की अनुभूति होती है। मंदिर में हनुमान जी की भव्य मूर्ति स्थापित है, जहां आप प्रार्थना और ध्यान कर सकते हैं।

हनुमान मंदिर के अलावा, कैंची धाम में भगवान शिव, प्रभु श्रीराम और देवी दुर्गा के मंदिर भी हैं। ये मंदिर आश्रम परिसर में ही स्थित हैं और इनके दर्शन से आपकी आध्यात्मिक यात्रा और समृद्ध होगी। प्रत्येक मंदिर की अपनी अलग ही विशेषता है।
कैंची धाम के पास नदी बहती है, जिसे शिप्रा नदी कहा जाता है। इस नदी के किनारे बैठकर कुछ समय बिताना आपके मन को शांति प्राप्त होता है। इसके अलावा, चारों ओर फैली हरियाली, पहाड़ और जंगल इस स्थान को एक हरियाली भरे बगीचे की तरह बनाते हैं। यह प्राकृतिक सौंदर्य आपको जीवन को प्यार और अपनेपन से सहेजने की प्रेरणा देता है।
कैंची धाम में कई किताबें और जानकार लोग मौजूद होते हैं जो नीम करोली बाबा के जीवन, उनके चमत्कारों और शिक्षाओं के बारे में बताते हैं। आप इन किताबों को पढ़कर या वहां मौजूद लोगों से बातचीत करके बाबा के संदेशों को समझ सकते हैं। बाबा की शिक्षाएं सादगी, प्रेम और भक्ति पर केंद्रित हैं, जो जीवन को सार्थक बनाने में मदद करती हैं।

कैंची धाम जाने का सही समय
कैंची धाम की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय फरवरी से जून तक का महीना माना जाता है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है, और गर्मियों में भी यहां ठंडक का एहसास होता है। सर्दियों में भी यह स्थान आकर्षक होता है, लेकिन बारिश के महीनों में यात्रा से बचना चाहिए, क्योंकि इस दौरान भूस्खलन और सड़क जाम होने का खतरा रहता है।

कैंची धाम कैसे पहुंचें?
कैंची धाम नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर स्थित है, जो नैनीताल से 17 किलोमीटर और भवाली से 9 किलोमीटर की दूरी पर है। यह स्थान सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, और आप विभिन्न साधनों से यहां पहुंच सकते हैं।
हवाई मार्ग : कैंची धाम का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर एयरपोर्ट है, जो लगभग 79 किलोमीटर दूर है। एयरपोर्ट से आप टैक्सी या बस के माध्यम से कैंची धाम पहुंच सकते हैं। यह यात्रा सड़क मार्ग से 2 से 3 घंटे की होगी।
रेल मार्ग : सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो कैंची धाम से 43 किलोमीटर की दूरी पर है। काठगोदाम से आप साझा या निजी टैक्सी किराए पर लेकर या बस के जरिए कैंची धाम पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग : नैनीताल और भवाली से कैंची धाम के लिए नियमित बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं। अगर आप अपने निजी वाहन से जा रहे हैं, तो नैनीताल से NH109 मार्ग पर भवाली की ओर बढ़ें और फिर कैंची धाम पहुंचें।
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