गणेश चतुर्थी: रणथंभौर का 700 साल पुराना त्रिनेत्र गणेश मंदिर, जहां गणेश जी की पूजा होती है परिवार सहित

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इस बार गणेश चतुर्थी का त्योहार 27 अगस्त को मनाया जाएगा। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को हर साल गणेश चतुर्थी त्योहार मनाया जाता है। भारत में गणपति बप्पा के बहुत से ऐसे मंदिर स्थापित हैं, जो किसी चमत्कारी से कम नहीं है। उन्हीं चमत्कारी मंदिरों में से एक है रणथंभौर का मंदिर। राजस्थान के रणथंभौर जिले में दुनिया का एकमात्र ऐसा गणेश मंदिर है जहां गणेश भगवान अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं। यहां भगवान गणेश की पूजा उनके पूरे परिवार, उनकी पत्नियों ऋद्धि और सिद्धि, उनके पुत्रों शुभ और लाभ, और यहां तक कि उनके वफादार वाहन मूषक के साथ की जाती है।

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त्रिनेत्र गणेश मंदिर किसी चमत्कारी से कम नहीं 

स्थानीय लोगों के अनुसार, इस मंदिर का इतिहास 700 साल से भी पुराना है। 1299 ई. में राजा हम्मीर अलाउद्दीन खिलजी के खिलाफ युद्ध लड़ा था। घेराबंदी इतनी लंबी चली कि रणथंभौर किले के अंदर  रखा खाने वाली सामग्री खत्म होने लगी। फिर एक रात भगवान गणेश के एक भक्त राजा हम्मीर ने स्वप्न में देखा कि भगवान गणेश उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें आश्वासन दिया कि सुबह तक उनकी परेशानियां दूर हो जाएंगी। सुबह  होते ही एक चमत्कार हुआ। किले की दीवार से भगवान गणेश की त्रिनेत्र  की एक मूर्ति प्रकट हुई। इसके तुरंत बाद राजा के गोदाम में अन्न से भर गया और युद्ध समाप्त हो गया। जिसके बाद राजा हम्मीर ने 1300 ई.में त्रिनेत्र गणेश मंदिर का निर्माण कराया और गणेश के परिवार की मूर्तियों को उनके साथ स्थापित किया। जिससे यहां एक अनोखा मंदिर बन गया। 

पत्र लिखने की है मंदिर में अनोखी परंपरा

इस मंदिर में एक खास परंपरा है कि लोग गणपति बप्पा को पत्र लिखते हैं। आज भी हजारों की संख्या में पत्र मंदिर में आते हैं। इस पत्र में लोग अपनी इच्छाओं, अपनी समस्याओं और परिवार के लिए खुशहाली की गणपति बप्पा से प्रार्थना करते हैं।  

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