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अमेरिकी वीज़ा के लिए देनी होगी 250 डॉलर की इंटीग्रिटी फीस, खर्च होगा 40000 रुपये

ट्रम्प प्रशासन 1 अक्टूबर से 250 डॉलर (लगभग 22,000 रुपये) की वीज़ा इंटीग्रिटी फीस लगाने जा रहा है, जिसके बाद अमेरिका का वीज़ा दोगुने से अधिक महंगा हो जाएगा। अमेरिकन ट्रैवल एसोसिएशन के अनुसार, वीज़ा प्राप्त करने का कुल खर्च बढ़कर 442 डॉलर (लगभग 40,000 रुपये) हो सकता है। भारत से अमेरिका जाने वाले लोगों की संख्या पर भी असर पड़ने की संभावना है, जिसमें पहले से ही 2.5 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
इस साल अमेरिका जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में भी 18 प्रतिशत की गिरावट आई है। अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या में कमी के कारण अमेरिकी कॉलेज भी चिंतित हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आप्रवासन पर कड़े रुख और कई विदेशी देशों के प्रति प्रतिकूल रवैये के कारण विदेश से आने वाले लोगों की संख्या लगातार घट रही है। माना जा रहा है कि नई वीज़ा इंटीग्रिटी फीस लगने से पहले से ही संघर्ष कर रहे अमेरिकी ट्रैवल उद्योग पर और दबाव आ सकता है। अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में अमेरिका की यात्रा करने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या वार्षिक आधार पर 3.1 प्रतिशत घटकर 19.2 मिलियन हो गई है।

यह इस साल का पांचवां महीना था, जब इसमें कमी देखी गई थी, जबकि ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि 2025 में वार्षिक आने वाले आगंतुकों की संख्या अंततः महामारी से पहले के 79.4 करोड़ स्तर को पार कर जाएगी। 1 अक्टूबर से लागू होने वाले नए वीज़ा शुल्क नियम से मेक्सिको, अर्जेंटीना, भारत, ब्राजील और चीन जैसे देश सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं। सदस्यता संगठन यूएस ट्रैवल एसोसिएशन के अनुसार, इस अतिरिक्त शुल्क से वीज़ा की कुल लागत बढ़कर 442 डॉलर हो जाएगी, जो दुनिया की सबसे महंगी पर्यटक शुल्कों में से एक है। वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल के अनुसार, विदेश से कम लोग आएंगे, जिससे आय पर असर पड़ेगा।
ऐसा अनुमान है कि इस साल लोग केवल 169 अरब डॉलर खर्च करेंगे, जबकि 2024 में यह आंकड़ा 181 अरब डॉलर था। ऐसा माना जा रहा है कि इसका असर 2026 फीफा वर्ल्ड कप और 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक जैसी घटनाओं पर भी देखने को मिलेगा। वीज़ा पर बॉन्ड का भी बोझ बनेगा, हाल ही में, ट्रम्प प्रशासन ने छात्रों, सांस्कृतिक विनिमय आगंतुकों और मीडिया कर्मचारियों के लिए वीज़ा अवधि को सख्त करने के लिए 15,000 डॉलर की बॉन्ड योजना पेश की है।

पर्यटक और व्यावसायिक वीज़ा लेने वालों को भी 15,000 डॉलर का बॉन्ड चुकाना पड़ सकता है। 20 अगस्त से इस संबंध में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य उनके वीज़ा की अवधि से अधिक समय तक रुकने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई करना है।
ट्रम्प की नीतियों के कारण कॉलेजों पर वित्तीय संकट ट्रम्प की मनमानी नीतियों ने अमेरिका के प्रतिष्ठित कॉलेजों को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या में कमी के संकेतों से अमेरिकी कॉलेज चिंतित हैं। कमी का असर इतना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल केवल आधे ही नए अंतर्राष्ट्रीय स्नातक छात्र आ पाए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 100 से अधिक कॉलेजों में नामांकित लगभग 20 प्रतिशत छात्र अंतर्राष्ट्रीय छात्र हैं। ऐसा अनुमान है कि ट्रम्प की नीतियों के कारण इसमें 40 प्रतिशत की कमी हो सकती है। इससे कॉलेजों की अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ेगा। कॉलेज जरूरतमंद छात्रों को छात्रवृत्ति भी नहीं दे पाएंगे।
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