कपड़ा उद्योग को बड़ी राहत, जीएसटी काउंसिल ने बदला टैक्स ढांचा, ज्यादातर चीजें 5 प्रतिशत के दायरे में

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नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल ने कपड़ा उद्योग को बड़ी राहत देते हुए टैक्स ढांचे में बड़ा बदलाव किया है। कपड़ा कारोबारियों में सरकार के इस फैसले के बाद खुशी की लहर है। यह नया ढांचा 22 सितंबर 2025 से लागू होगा। काउंसिल ने मौजूदा टैक्स दरों को सरल बनाते हुए अब सिर्फ दो स्लैब 5% और 18% रखने का निर्णय लिया है। 12% और 28% की दरें खत्म कर दी गई हैं। इसके साथ ही लक्जरी आइटम्स के लिए 40% का नया स्लैब लाया गया है। सूरत के कारोबारियों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है।

कपड़ा उद्योग को इस प्रकार मिलेगा लाभ

नए जीएसटी ढांचे से कपड़ा उद्योग को इस प्रकार लाभ मिलने वाला है। काउंसिल की बैठक के बाद जो स्लैब में बदलाव किए गए हैं, वह इस प्रकार है-
-मैनमेड फाइबर (एमएमएफ) पर टैक्स 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
-मैनमेड यार्न पर दर 12% से घटकर 5% हो गई है।
-फाइबर से बने यार्न और सिलाई धागे पर अब 5% टैक्स लगेगा।
-तैयार वस्त्र उत्पाद जैसे कालीन, गलीचे, बाथ लिनन और ₹2,500 तक के कपड़ों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर सकारात्मक असर दिखेगा
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से कपड़ा उद्योग की पूरी वैल्यू चेन पर सकारात्मक असर होगा। इनपुट कॉस्ट घटने से उत्पादन सस्ता होगा और भारतीय उत्पाद घरेलू व अंतरराष्ट्रीय बाजार में ज्यादा प्रतिस्पर्धी बन पाएंगे। 

कीमतें घटने से घरेलू बाजार में मांग बढ़ेगी

उद्योग जगत के जानकारों का कहना है कि कई प्रमुख कंपनियां इस बदलाव से सीधे लाभान्वित होंगी। इनमें वेलस्पन लिविंग, इंडो काउंट, केपीआर मिल्स, गोकलदास एक्सपोर्ट्स, वर्धमान टेक्सटाइल्स जैसी कंपनियां शामिल हैं। ये कंपनियां यार्न निर्माण से लेकर रेडीमेड वस्त्र तक कई क्षेत्रों में सक्रिय हैं। नए टैक्स ढांचे से इनकी टैक्स देनदारी घटेगी और मुनाफे की संभावनाएं बढ़ेंगी। बता दें कि कपड़ा उद्योग पिछले कुछ समय से वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और कच्चे माल की बढ़ती कीमतों से जूझ रहा था। ऐसे में सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य माना जा रहा है। नई टैक्स दरें उत्पादन लागत घटाने, नकदी प्रवाह सुधारने और निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में मददगार

 मददगार साबित होगा

नई व्यवस्था लागू होने के बाद कंपनियां अपनी मूल्य निर्धारण रणनीति और सप्लाई चेन संचालन की समीक्षा करेंगी ताकि ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाया जा सके। उद्योग जगत का मानना है कि यह बदलाव रोजगार सृजन और विकास के लिहाज से भी अहम साबित होगा।

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