भाजपा से नाराज नेता और कार्यकर्ता पार्टी छोड़कर कांग्रेस या आप में क्यों नहीं शामिल हो जाते?

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गुजरात की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी का स्थान अद्वितीय है। गुजरात की जनता ने भाजपा को जो अद्भुत समर्थन दिया, उसी के कारण आज भाजपा पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र सरकार तक पहुंची है। भाजपा गुजरात की जनता का जितना भी आभार व्यक्त करे, कम है, लेकिन आज वर्ष 2025 में गुजरात भाजपा की कार्यप्रणाली और संगठन के भीतर की गतिशीलता को लेकर चर्चा हो रही है। एक ओर जनता में असंतोष है, तो दूसरी ओर पार्टी के दिग्गज कार्यकर्ताओं और नेताओं में असंतोष है। ऐसी विपरीत परिस्थिति में एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि भाजपा से नाराज नेता और कार्यकर्ता पार्टी छोड़कर कांग्रेस या आम आदमी पार्टी (आप) में क्यों नहीं शामिल होते? इस प्रश्न का उत्तर भाजपा के दिग्गज कार्यकर्ताओं के अद्वितीय समर्पण और मूल्यों में निहित है। जबकि युवा नेतृत्व के सामने इन मूल्यों को बनाए रखने की चिंता भी है।

भाजपा के दिग्गज कार्यकर्ताओं का योगदान एक प्रेरक कहानी है। इन कार्यकर्ताओं ने अपने निजी जीवन, घर-परिवार और कारोबार को किनारे रखकर पार्टी के विकास के लिए दिन-रात काम किया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के गठन ने इन कार्यकर्ताओं में सेवा, समर्पण और संगठन की भावना को गहराई से भर दिया है। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी जनता की सेवा की है, पार्टी संगठन को मजबूत किया है और नए लोगों को जोड़ने की कला सीखी है। इन कार्यकर्ताओं की निष्ठा इतनी अडिग है कि नाराजगी के बावजूद वे पार्टी विरोधी काम या विश्वासघात का रास्ता नहीं अपनाते। उनके लिए भाजपा सिर्फ एक राजनीतिक दल नहीं बल्कि एक विचारधारा है। जिसके लिए उन्होंने खुद को समर्पित कर दिया है। यही कारण है कि नाराजगी के बावजूद वे कांग्रेस या आप जैसी पार्टियों में शामिल होने के बारे में नहीं सोचते क्योंकि उनकी विचारधारा और मूल्य भाजपा के आदर्शों से गहराई से जुड़े हुए हैं। इन दिग्गज कार्यकर्ताओं का समर्पण एक मिसाल है जो राजनीति में निष्ठा और आदर्शों के महत्व को दर्शाता है। 

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अपनी मेहनत से उन्होंने गुजरात में भाजपा की नींव मजबूत की जिस पर आज पार्टी की भव्य इमारत खड़ी है। लेकिन आज जब पार्टी में नए नेता और युवा नेतृत्व उभर रहा है, तो एक चिंताजनक सवाल यह उठता है कि क्या यह युवा नेतृत्व भाजपा के इन मूल्यों और परंपराओं को कायम रख पाएगा? आज के युवा नेता त्वरित सफलता और प्रभाव के भूखे हैं, लेकिन क्या उनमें अनुभवी कार्यकर्ताओं की तरह विपरीत परिस्थितियों में संगठन को एकजुट रखने का धैर्य, समर्पण और क्षमता है? आज भाजपा के भीतर जो असंतोष दिख रहा है, उसका एक कारण यह भी है कि अनुभवी कार्यकर्ता खुद को हाशिए पर महसूस कर रहे हैं। नए नेताओं और युवा वर्ग की आक्रामक शैली, संगठन में त्वरित निर्णय और आधुनिक राजनीतिक रणनीतियों ने पार्टी की दिशा में बदलाव लाए हैं।

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ये बदलाव जरूरी हो सकते हैं, लेकिन अनुभवी कार्यकर्ताओं के अनुभव और मूल्यों का सम्मान बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है। युवा नेतृत्व को यह समझना होगा कि भाजपा की सफलता सिर्फ चुनाव जीतने में नहीं है, बल्कि विचारधारा को जीवित रखने और कार्यकर्ताओं के समर्पण को महत्व देने में है। आगे चलकर भाजपा को अपने अनुभवी कार्यकर्ताओं के अनुभव को युवा नेतृत्व की ऊर्जा के साथ जोड़ना होगा। युवा नेता इन मूल्यों को अपनाएंगे और अनुभवी कार्यकर्ताओं के अनुभव का सम्मान करेंगे तो ही भाजपा गुजरात में अपनी मजबूत स्थिति बनाए रख पाएगी। अन्यथा यह नाराजगी बढ़ती रहेगी और भविष्य में पार्टी की एकता पर सवाल उठ सकते हैं।

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