ऐसा नहीं चलेगा! अवसरवादी आंदोलन करते हैं और समाज के नाम पर बड़े होते हैं 

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गुजरात जो कभी सामाजिक एकता, संस्कृति और सद्भाव का प्रतीक था, आज अपनी पहचान को खत्म होता देख रहा है। गुजरात के लोग जो अपनी सामाजिक सद्भावना और चुनौतियों का मिलकर सामना करने की क्षमता के लिए जाने जाते थे, आज कई सामाजिक और राजनीतिक जटिलताओं का सामना कर रहे हैं। आज के समय में आंदोलन के नाम पर उठने वाले कुछ अवसरवादियों ने समाज में कलह और अस्थिरता फैलाना शुरू कर दिया है। सामाजिक न्याय के नाम पर बाहरी तौर पर शुरू किए जाने वाले ऐसे आंदोलन अक्सर राजनीतिक हितों के पोषण का साधन बन जाते हैं। ऐसे में गुजरात के लोगों के लिए सामाजिक जागरूकता के माध्यम से ऐसे अवसरवादियों से सावधान रहना जरूरी हो गया है।

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गुजरात का इतिहास सामाजिक एकता के कई उदाहरणों से भरा पड़ा है। चाहे वह गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन हो या सरदार पटेल का किसान आंदोलन इन सभी ने गुजरात के लोगों को एक मंच पर ला खड़ा किया। लेकिन आज आंदोलनों का स्वरूप बदल गया है। सामाजिक प्रगति के नाम पर शुरू होने वाले कुछ आंदोलन जल्द ही राजनीतिक लाभ प्राप्त करने का साधन बन जाते हैं। ऐसे आंदोलनों के नेता जो खुद को समाज का हितैषी बताते हैं, वे अक्सर अपने निजी लाभ के लिए समाज की भावनाओं का दुरुपयोग करते हैं। ऐसे अवसरवादियों की पहचान करना और उनके खिलाफ सामाजिक जागरूकता पैदा करना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।

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आंदोलनों के नाम पर पैदा होने वाली अस्थिरता समाज के हर वर्ग को प्रभावित करती है। खासकर युवा जो भावनाओं के आवेश में ऐसे आंदोलनों में शामिल होते हैं, वे अपना भविष्य और करियर दांव पर लगा देते हैं। ऐसे आंदोलनों में भाग लेने वाले कई मासूम लोगों की भावनाओं का दुरुपयोग किया जाता है और उनका जीवन अंधकारमय हो जाता है। गुजरात के इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां आंदोलनों के नाम पर हिंसा, दंगे और सामाजिक अस्थिरता फैली जिसका शिकार आम लोग हुए।

ऐसी स्थिति में सामाजिक जागरूकता ही एकमात्र उपाय है। गुजरात के लोगों को यह समझने की जरूरत है कि हर आंदोलन के पीछे क्या उद्देश्य है। क्या यह वाकई समाज के हित में है या इसका इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है? आंदोलन के नेताओं की दृढ़ संकल्प और उनके काम की पारदर्शिता पर सवाल उठाना जरूरी है।

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गुजरात के लोगों को एकजुट होकर ऐसे अवसरवादियों को बेनकाब करना चाहिए। हमें अपनी संस्कृति, एकता और सद्भाव की पहचान को फिर से जागृत करना होगा। गुजरात के लोगों की ताकत उनकी एकता में निहित है और इस ताकत की रक्षा के लिए सभी को सजग रहना होगा। अवसरवादी आंदोलनों को समाप्त करना और गुजरात को सामाजिक एकता का प्रतीक बनाना आज की सबसे बड़ी चुनौती है। इस दिशा में सामूहिक प्रयास ही गुजरात के भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं।

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