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राजकुमारी केट की कैंसर को हराने की संघर्षमय दास्तान

कैंसर किसी को भी हो सकता है फिर वो वेल्स की राजकुमारी केट मिडलटन भी क्यों न हो । और सभी को उसी दर्द से गुजरना पड़ता है। कैंसर और दर्द किसी को रियायत नहीं देते। किंतु इससे लड़ने की सबकी अपनी अपनी कहानी है।मार्च 2024 में, एक पेट की सर्जरी के बाद इस बाद का खुलासा हुआ कि प्रिंसेस केट को कैंसर है। उन्होंने एक वीडियो संदेश के माध्यम से इस बात को साझा किया और यह भी कहा कि वह कीमोथेरेपी शुरू कर रही हैं । इस कठिन समय में उन्हे निजता की आवश्यकता है।
अगले कुछ महीनों में उन्होंने उपचार को चुपचाप लेकिन दृढ़ता के साथ अपनाया। उन्होंने सितंबर 2024 में कीमोथेरेपी पूरी की और जनवरी 2025 में अपने कैंसर-मुक्त होने की घोषणा की।
हालांकि उन्होंने चिकित्सा से ठीक हो जाने की बात कही, लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि ठीक होने की प्रक्रिया सरल नहीं होती। 2 जुलाई 2025 को कोलचेस्टर अस्पताल की यात्रा के दौरान उन्होंने कहा:
“आप एक बहादुरी का मुखौटा पहनते हैं… फिर लगता है कि अब सामान्य जीवन जी सकती हूं, लेकिन वास्तव में, इसके बाद का दौर बेहद कठिन होता है… यह एक रोलर कोस्टर जैसा है।”
उन्होंने इस दौर में मानसिक और इमोशनल समर्थन की जरूरत पर जोर दिया, जो कि केवल शारीरिक इलाज से अलग है। उन्होने कीमोथेरेपी के अलावा प्राकृतिक और वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों के बारे में भी कहा । उन्होंने कहा कि एक्यूपंक्चर और प्रकृति से जुड़कर मानसिक शांति पाई।
केट ने जिस ईमानदारी से अपनी संघर्ष की कहानी साझा की, उसने राजघरानों की पारंपरिक चुप्पी को तोड़ा। उन्होंने दिखाया कि कमजोरी स्वीकारना भी ताकत होती है।
वह सिर्फ अपनी लड़ाई ही नहीं लड़ रही थीं, बल्कि दूसरों के लिए जागरूकता और संवेदनशीलता का वातावरण भी तैयार कर रही थीं। एक कैंसर सर्वाइवर के रूप में, उन्होंने Royal Marsden Hospital और NHS Charities Together के माध्यम से कई रोगियों को सहायता पहुंचाई।
जून 2024 में Trooping the Colour कार्यक्रम में भाग लिया, विंबलडन में उपस्थित रहीं तथा 2 जुलाई 2025 को अस्पताल में गुलाब का पौधा लगाया, जो उनकी रीकवरी का प्रतीक था।
किंतु उन्होंने Royal Ascot में भाग नहीं लिया, ताकि अपनी मेन्टल हेल्थ की रीकवरी को प्राथमिकता दे सकें। यह दिखाता है कि अब वह अपने शरीर और मन की सुन रही हैं, दूसरों की अपेक्षाओं की नहीं।
प्रिंसेस केट की यह यात्रा सिर्फ कैंसर के उपचार से जुड़ी जीत नहीं है। यह संवेदना, आत्म-साक्षात्कार और नए जीवन की ओर लौटने की प्रेरणादायक कहानी है। उन्होंने न केवल खुद को ठीक किया, बल्कि दुनिया को यह दिखाया कि कैंसर के बाद का जीवन भी पूरी गरिमा और ताकत के साथ जिया जा सकता है।
साहस केवल जीवित रहना नहीं है — असली साहस है खुद को फिर से खोज पाना, और दूसरों को राह दिखा पाना।
About The Author

Dr. Dinky Gajiwala, DNB (Medicine), DNB (Medical Oncology), is a dedicated Medical Oncologist and Consultant at Hope Cancer Clinic, Surat. She specializes in comprehensive cancer treatment and is passionate about empowering patients through education and awareness. With a strong presence on social media, Dr. Gajiwala actively spreads reliable information on breast cancer, chemotherapy, immunotherapy, and other critical aspects of oncology, making cancer care more accessible and understandable for all.