मुँह की सेहत से मस्तिष्क की सुरक्षा: मसूड़ों की बीमारी और स्ट्रोक के बीच नया संबंध

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मुँह की अच्छी  सफाई केवल आपकी मुस्कान ही नहीं बचाती, बल्कि आपके मस्तिष्क को भी सुरक्षित रख सकती है। Neurology नामक पत्रिका में प्रकाशित दो नए अध्ययन बताते हैं कि मसूड़ों की बीमारी और दाँतों की सड़न (कैविटी) से स्ट्रोक और अन्य मस्तिष्क संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

मसूड़ों की बीमारी और दिमाग के बीच कड़ी

ये अध्ययन लंबे समय से चल रहे Atherosclerosis Risk in Communities (ARIC) प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं, जिसमें हजारों लोगों का 20 से अधिक वर्षों तक अध्ययन किया गया।

पहले अध्ययन में 1,143 बुजुर्गों के दाँतों की स्थिति और मस्तिष्क के MRI स्कैन का विश्लेषण किया गया। जिन लोगों को मसूड़ों की बीमारी थी, उनके मस्तिष्क में white matter hyperintensity (WMH) नामक क्षति अधिक पाई गई। यह स्थिति मस्तिष्क की छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँचाती है और स्ट्रोक व स्मृति ह्रास से जुड़ी होती है।

परिणामों के अनुसार, मसूड़ों की बीमारी वाले लोगों में मस्तिष्क क्षति का खतरा 56% अधिक था। वैज्ञानिकों का मानना है कि मसूड़ों का संक्रमण शरीर में क्रॉनिक इंफ्लेमेशन (सूजन) पैदा करता है, जो मस्तिष्क की नाज़ुक नसों को नुकसान पहुँचा सकता है।

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पायरिया या पीरियडोंटाइटिस मसूड़ों का संक्रमण है इसका मुख्य कारण खराब मौखिक स्वच्छता है, जिससे दांतों पर प्लाक और टार्टर जम जाता है। धूम्रपान या तंबाकू का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है और ठीक होने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। कुछ लोगों में यह रोग आनुवंशिक कारणों से अधिक होता है, जबकि हार्मोनल बदलाव, पुरानी बीमारियाँ और खराब पोषण भी इसकी संभावना बढ़ा सकते हैं।

स्ट्रोक का खतरा दोगुना

दूसरे अध्ययन में 5,900 से अधिक प्रतिभागियों को तीन समूहों में बाँटा गया — स्वस्थ दाँत, केवल मसूड़ों की बीमारी, और मसूड़ों की बीमारी के साथ दाँतों की सड़न।

21 साल के बाद मिले नतीजे इस प्रकार थे:

- मुँह के अच्छे  स्वास्थ्य वाले लोगों में स्ट्रोक का खतरा 4.1%,
-मसूड़ों की बीमारी वाले लोगों में 6.9%,
-मसूड़ों की बीमारी व कैविटी वाले लोगों में 10% था।

यानी, खराब मौखिक स्वास्थ्य वाले लोगों में स्ट्रोक का खतरा दो गुना से अधिक पाया गया।

मुँह है मस्तिष्क का द्वार

शोधकर्ताओं का कहना है कि मसूड़ों की बीमारी से होने वाली सूजन शरीरभर में फैल सकती है और हृदय, मस्तिष्क तथा रक्तवाहिकाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। “मुँह मस्तिष्क का द्वार है,”। “मसूड़ों की बीमारी केवल खराब सेहत का संकेत नहीं, बल्कि स्ट्रोक के जोखिम का कारण भी बन सकती है।”

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 क्या करें?

विशेषज्ञों के अनुसार, अभी और अध्ययन की आवश्यकता है, लेकिन संदेश स्पष्ट है — दाँतों और मसूड़ों की देखभाल करें, मस्तिष्क को बचाएँ।

दिन में दो बार ब्रश करें, फ्लॉस करें, नियमित डेंटल जाँच कराएँ, तंबाकू से दूर रहें और संतुलित भोजन करें।

एक न्यूरोलॉजिस्ट ने कहा, “एक टूथब्रश मस्तिष्क की सुरक्षा का सबसे सस्ता और असरदार उपकरण हो सकता है।”

About The Author

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Dr. Risshi Bhatt is a dental surgeon specializing in TMJ disorders and facial pain. He leads the RR Dental and Maxillofacial Clinic, known for its integrated approach to jaw and sleep-related conditions. Passionate about patient education and preventive care, Dr. Bhatt bridges the gap between dentistry and overall wellness.

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