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ट्रम्प टैरिफ से गुजरात के टेक्सटाइल मार्केट को झटका, निर्यात प्रभावित हो सकती है, टैरिफ टलने से फिलहाल राहत

सूरत। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने टैरिफ को लेकर भारत को एक बार फिर बड़ा झटका दिया है। उन्होंने 25 फीसदी टैरिफ का ऐलान किया है। यह एक अगस्त से ही लागू होना था, लेकिन फिलहाल इसे एक हफ्ते के लिए टाल दिया गया है। ट्रम्प ने 92 देशों पर नए टैरिफ को लेकर लिस्ट जारी की है। इसमें भारत पर 25 फीसदी जबकि पाकिस्तान पर 19 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। हालांकि कनाडा पर एक अगस्त से ही 35 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है। फिलहाल 25 फीसदी टैरिफ को भले ही एक हफ्ते के लिए टाल दिया गया है। इससे कारोबारियों ने थोड़ी राहत की सांस ली है, लेकिन अभी टैरिफ संकट टला नहीं है। कारोबारियों को इतनी भारी-भरकम की चिंता अभी से सताने लगी है। दरअसल, इस 25% टैरिफ से कपड़ा-ज्वैलरी समेत कई उद्योग प्रभावित होंगे। खासकर कपड़ा उद्यमी इसे बड़ा झटका मान रहे हैं। इससे निर्यात नीति प्रभावित होगी। मगर उद्योग को उम्मीद है कि यह मामला जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। भारत पर शुल्क बढ़ा दिया गया है मगर यह बांग्लादेश और कंबोडिया के मुकाबले 10 फीसदी तथा श्रीलंका के मुकाबले 5 फीसदी कम है। अमेरिकी बाजार में भारत को सबसे ज्यादा टक्कर देने वाले चीन की तुलना में तो यह 20-25 फीसदी कम है। मगर ट्रंप ने स्पष्ट नहीं किया है कि शुल्क के बाद जुर्माने की राशि क्या होगी। इस बात से क्षेत्र को चिंता है। सूरत के कारोबारी जो अमेरिका समेत कई देशों में कपड़े का निर्यात करते हैं, उन्होंने फिलहाल टैरिफ टल जाने से राहत की सांस ली है, लेकिन आगे मसला सुलझेगा या नहीं, यह चिंता जरूर है।
कपड़ा और परिधान के निर्यात के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार
कपड़ा और परिधान के निर्यात के लिए भारत का सबसे बड़ा बाजार अमेरिका है। इस साल जनवरी से मई तक अमेरिका ने भारत से 4.59 अरब डॉलर के कपड़े और परिधान का आयात किया था, जो पिछले साल जनवरी से मई तक हुए 4.05 अरब डॉलर निर्यात से 13 फीसदी अधिक है। इस इजाफे का बड़ा कारण चीन और बांग्लादेश से अमेरिका को होने वाले आयात में गिरावट है। अमेरिका ने बांग्लादेश से निर्यात पर 35 फीसदी शुल्क लगाया है और इंडोनेशिया के लिए 19 फीसदी, वियतनाम के लिए 20 फीसदी तथा कंबोडिया के लिए 36 फीसदी दर तय की गई है।
निर्यातकों को फिलहाल राहत मिलती नहीं दिख रही है
टैरिफ की घोषणा से भारतीय कपड़ा और परिधान के निर्यातकों को भारी परेशानियां होंगी, क्योंकि बांग्लादेश को छोड़कर ऐसे किसी भी देश के मुकाबले हमारे शुल्क में ज्यादा अंतर नहीं है, जिसके साथ हम अमेरिकी बाजार में होड़ करते हैं। जुर्माने की रकम स्पष्ट नहीं होने से कारोबार के लिए अनिश्चितता और भी बढ़ जाती है क्योंकि योजना बनाने में परेशानी आती है। हालांकि कारोबारियों को उम्मीद है कि भारत सरकार बातचीत के जरिए कोई न कोई रास्ता जरूर निकालेगी। बता दें कि भारत ने 2030 तक 100 अरब डॉलर के कपड़ा निर्यात का लक्ष्य रखा है।
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