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सूरत में 1 लाख से अधिक गणपति की मूर्ति विसर्जन के लिए सबसे बड़ी तैयारी, 14 हजार जवान तैनात रहेंगे

सूरत। सूरत में सबसे भव्य तरीके से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है गणेशोत्सव। पूरे सूरत में इस बार एक लाख से अधिक गणपति की स्थापना की गई है। गणेश उत्सव के चार दिन बीत चुके हैं। दस दिनों तक चलने वाले इस सबसे बड़े पर्व के लिए प्रशासन की तैयारियां भी जबरदस्त होती है। अब गणपति की मूर्तियों के विसर्जन का समय आ रहा है। इसके लिए सूरत पुलिस ने सबसे बड़ी तैयारी की है। एक लाख से अधिक गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन शांति और सुरक्षा के माहौल में संपन्न कराने के लिए सूरत पुलिस ने अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था की है। संवेदनशील इलाकों पर विशेष ध्यान दिया गया है। वहां क्राइम ब्रांच की 10 टीमें और एसओजी की 10 टीमें तैनात रहेंगी और तब तक ड्यूटी पर रहेंगी जब तक सभी लोग सुरक्षित अपने घर नहीं पहुंच जाते।
छोटी मूर्तियों के लिए 21 कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं
गणेश विसर्जन के लिए 24 ओवारा (विसर्जन स्थल) बनाए गए हैं। इनमें से 21 कृत्रिम तालाब और 3 प्राकृतिक जलाशय शामिल हैं। पर्यावरण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए छोटे (1 से 5 फीट) गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन कृत्रिम तालाबों में किया जाएगा, जबकि बड़ी प्रतिमाओं (5 फीट से अधिक ऊंचाई) का विसर्जन प्राकृतिक ओवारों और समुद्र किनारे किया जाएगा। समुद्र किनारे 14 बड़ी क्रेन और बोट्स की मदद से मूर्तियों का विसर्जन होगा।
सुरक्षा के लिए 12 एसआरपी कंपनियां भी लगाई गई हैं
इस अवसर पर 14 हजार से अधिक पुलिस जवान तैनात किए गए हैं। इसमें 1 सीपी, 1 स्पेशल सीपी, 2 जेसीपी, 22 डीसीपी, 33 एसीपी और 159 पीएसआई समेत उच्च अधिकारी भी शामिल हैं। इनके साथ 6575 पुलिसकर्मी और 5000 होमगार्ड ड्यूटी पर रहेंगे। 12 एसआरपी कंपनियां भी लगाई गई हैं, जिसमें पहली बार महिला एसआरपी की टुकड़ी भी शामिल है।
यातायात व्यवस्था संभालने के लिए 6000 ट्रैफिक ब्रिगेड जवानों को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है, ताकि विसर्जन यात्रा के दौरान यातायात प्रभावित न हो।
150 एआई कैमरे लगाए गए हैं
सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। 20 ड्रोन कैमरे से हवाई निगरानी होगी, जबकि 900 बॉडी वॉर्न कैमरे और 125 वीडियो कैमरे से घटनाओं की रिकॉर्डिंग होगी। शहर में 2000 सीसीटीवी कैमरे और 150 एआई कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा 530 बाइक और 326 पेट्रोलिंग वाहन चौबीसों घंटे गश्त करेंगे।
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