पर्याप्त नींद न लेना एक बड़ी स्वास्थ्य चिंता, 59% भारतीय सोते हैं 6 घंटे से कम

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भारतीयों में नींद न आना एक बहुत ही बड़ा समस्या है। अधिकतर लोग कहते हैं कि उन्हें समुचित नींद कहां मिलती है? नींद आना बहुत कठिन होता है और फिर कुछ समय बाद नींद टूट जाती है। मैं करवटें बदलते हुए रात गुजार देता हूं। फिर सुबह से शाम तक काम, खाना-पीना और फिर रात को बिस्तर पर जाकर कल के काम की चिंता। पर्याप्त नींद न लेना एक बड़ी स्वास्थ्य चिंता है। लेकिन अधिकांश भारतीयों 6 घंटे से कम ही सो पाते हैं। परिणामस्वरूप रक्तचाप, हाइपरटेंशन और अनिद्रा जैसी अनेक बीमारियां तेजी से बढ़ने लगती हैं। लोकल सर्किल्स द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 59 प्रतिशत भारतीयों को 6 घंटे से भी कम की नींद मिल रही है। इनमें से 38 प्रतिशत लोग सप्ताहांत में भी पर्याप्त नींद नहीं ले पाते।

348 जिलों के 43 हजार लोगों से मांगी गई जानकारी

लोकल सर्किल्स द्वारा किये गए इस सर्वेक्षण में 43,000 लोगों से जानकारी एकत्रित की गई। ये सभी 43 हजार लोग भारत के 348 विभिन्न जिलों के निवासी हैं। इनमें से 61 प्रतिशत पुरुष और 39 प्रतिशत महिलाएं हैं। इन लोगों से पूछा गया कि पिछले वर्ष उन्होंने रात में कितने घंटे निर्बाध नींद ली थी। 15689 लोगों ने इस प्रश्न का उत्तर दिया. 39 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें 6-8 घंटे की नींद मिलती है। 39 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें 4-6 घंटे की नींद की जरूरत है। 20 प्रतिशत लोगों ने बताया कि वे लगभग 4 घंटे सोते हैं। जबकि दो प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें 8-10 घंटे की नींद मिलती है। कुल मिलाकर, 59 प्रतिशत लोगों ने पाया कि वे 6 घंटे की निर्बाध नींद नहीं ले पाते।

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नींद में व्यवधान के मुख्य कारण

सर्वेक्षण में पाया गया कि बार-बार नींद में खलल पड़ने का सबसे बड़ा कारण आधी रात को शौचालय जाना है। 72% लोगों ने कहा कि शौचालय जाना उनकी नींद में खलल का मुख्य कारण है। इसके अलावा अगर कारणों की बात करें तो अनियमित दिनचर्या, शोर, मच्छरों की समस्या और जीवनसाथी या बच्चों के कारण नींद में खलल मुख्य कारण हैं।

नींद की कमी कई बीमारियों को आमंत्रित करती है

विशेषज्ञों के अनुसार, नींद की कमी कई बीमारियों को आमंत्रित करती है। इससे न केवल थकान और काले घेरे हो सकते हैं, बल्कि दीर्घकालिक गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। नींद विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक नींद की कमी से हृदय रोग, मोटापा और टाइप 2 मधुमेह जैसी चयापचय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

नींद की कमी से काम पर भी असर पड़ रहा है

विशेषज्ञों का कहना है कि नींद की कमी से कर्मचारियों की कार्य क्षमता पर भी असर पड़ रहा है। शोध से पता चलता है कि नींद की कमी वाले कर्मचारियों से गलतियाँ होने की संभावना अधिक होती है, उनकी एकाग्रता कम होती है, तथा वे समस्याओं को सुलझाने में भी कम सक्षम होते हैं।

लंबे समय तक नींद की गोलियां लेना खतरनाक है

अनिद्रा की समस्या से निपटने के लिए लोग नींद की गोलियों का सहारा लेते हैं। ऐसी दवाएं आसान समाधान लग सकती हैं, लेकिन डॉक्टर दीर्घकालिक गंभीर खतरों का हवाला देते हुए बिना उचित सलाह के इन दवाओं के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी देते हैं।

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'नींद की गोलियां अस्थायी राहत देती हैं, डॉक्टर से परामर्श के बिना इन्हें न लें'

निद्रा चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. मीर फैजल ने ऐसी दवाओं के व्यापक दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की। डॉ. फैसल ने विश्व नींद दिवस पर कहा, "बहुत से लोग विशेषज्ञों से सलाह लिए बिना ऐसी दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। ये दवाएं अस्थायी राहत दे सकती हैं, लेकिन शामक दवाओं के कई प्रतिकूल प्रभाव होते हैं।

डॉ. मीर फैसल ने चेतावनी दी कि ऐसी दवाओं के दुष्प्रभाव शुरू में गंभीर नहीं होते, लेकिन समय के साथ दुष्प्रभाव गंभीर होने लगते हैं। उन्होंने कहा, "जब हम इसका सेवन करते हैं, तो दूसरी समस्या उत्पन्न होती है। जब हम इसका सेवन लंबे समय तक करते हैं, तो इसका कोई खास असर नहीं होता। इसलिए व्यक्ति अधिक से अधिक खुराक लेता रहता है। और अधिक खुराक लेने से हमें अधिक दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं।"

बेहतर नींद के लिए विशेषज्ञ की सलाह

- कैफीन का कम सेवन करें।
-सोने का एक निश्चित समय निर्धारित करें और उसका पालन करें।
- सोने से पहले मोबाइल, लैपटॉप और टीवी जैसी स्क्रीन का इस्तेमाल न करें।
- आरामदायक गद्दे पर खर्च करें। यह पैसा आपकी नींद में निवेश की तरह होगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि इन छोटे-छोटे बदलावों को अपनाकर लोग अपनी नींद की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं और इससे उनके स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार हो सकता है।

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