- Hindi News
- बिजनेस
- अनिल अंबानी जाने वाले थे जेल, तभी ये शख्स बनकर आया संकटमोचन, चुकाया 5500000000 का कर्ज
अनिल अंबानी जाने वाले थे जेल, तभी ये शख्स बनकर आया संकटमोचन, चुकाया 5500000000 का कर्ज

उद्योगपति अनिल अंबानी से जुड़ी ये घटना साल 2018 की है, लेकिन आज एक बार फिर इसकी याद आ रही है। याद इसलिए आ रही है क्योंकि एक बार फिर अनिल अंबानी मुसीबतों से घिर गए हैं। 3000 करोड़ रुपये के कर्ज मामले में ईडी ने अनिल अंबानी की चिंताएं बढ़ा दी हैं। साल 2018 में भी उन्हें ऐसी ही समस्या का सामना करना पड़ा था। तय समय सीमा में कर्ज न चुका पाने के कारण उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी, लेकिन एक शख्स ने उन्हें इस मुश्किल घड़ी से बचा लिया। उसने न सिर्फ़ कर्ज चुकाया, बल्कि जेल जाने से भी बचा लिया।
रिलायंस कम्युनिकेशंस ने स्वीडिश टेलीकॉम समूह एरिक्सन से कर्ज लिया था। उसे तय समय सीमा में 77 मिलियन डॉलर का कर्ज चुकाना था, लेकिन पहले से ही भारी कर्ज में डूबे अनिल अंबानी समय पर यह कर्ज नहीं चुका पाए। तब एरिक्सन ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने अनिल अंबानी को 4 हफ़्ते का समय दिया और कहा कि या तो वह पैसे लौटा दें या जेल जाने के लिए तैयार रहें। अगर उन्होंने कंपनी का 77 मिलियन डॉलर का कर्ज़ नहीं चुकाया, तो उन्हें जेल जाना पड़ेगा।

अदालत ने अनिल अंबानी को एरिक्सन का 77 मिलियन डॉलर का बकाया चुकाने का आदेश दिया था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सके। उन्हें अदालत की अवमानना के कारण जेल जाने का डर था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 4 हफ़्ते का समय दिया और कहा कि अगर उन्होंने कर्ज़ नहीं चुकाया, तो जेल जाने के लिए तैयार रहें। अनिल अंबानी इतनी बड़ी रकम चुकाने में कामयाब नहीं हो सके। सबसे कठिन फ़ैसला लेते हुए उन्होंने भारत की दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी को दिवालिया घोषित करने के लिए अर्ज़ी दायर की।
जब सारे रास्ते, सारे विकल्प बंद हो गए, तब उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी ने अनिल अंबानी की मदद की। मुकेश अंबानी और नीता अंबानी ने सबसे मुश्किल समय में अनिल अंबानी की मदद का हाथ बढ़ाया। समय सीमा से 2 दिन पहले, रिलायंस कम्युनिकेशंस ने एरिक्सन को 67 मिलियन डॉलर की राशि चुका दी और जेल जाने का डर खत्म हो गया। अनिल अंबानी ने इस मदद के लिए अपने भाई और भाभी का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि मुश्किल वक्त में उनका परिवार उनके साथ खड़ा रहा।

अनिल अंबानी को 30 सितंबर, 2018 तक एरिक्सन को 550 करोड़ रुपये चुकाने थे। इस समय सीमा को पूरा न कर पाने का मतलब था जेल जाना। तब मुकेश अंबानी ने अपने छोटे भाई का कर्ज़ चुकाकर मदद की। आरकॉम की 1.78 लाख रूट किलोमीटर फाइबर संपत्ति और 43,540 मोबाइल टावर बड़ी टेलीकॉम कंपनियों की नज़र में थे। कर्ज़ चुकाने के बजाय, अनिल अंबानी ने मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के रिलायंस जियो को अपने टावर और फाइबर लाइन लीज़ पर दे दी।
धीरूभाई अंबानी का रिलायंस समूह 28,000 करोड़ रुपये का था। 2005 में जब इसका बंटवारा दोनों भाइयों मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच हुआ, तो अनिल का हिस्सा टेलीकॉम सेक्टर में आया, जिसमें कमाई की अपार संभावनाएं थीं। अनिल अंबानी रिलायंस कम्युनिकेशंस को बढ़ाने के लिए एक के बाद एक डील कर रहे थे। 2005 में उन्होंने एडलैब्स और 2008 में ड्रीमवर्क्स के साथ डील की। 2013 में स्वीडिश कंपनी एरिक्सन के साथ एक समझौता हुआ। यह सौदा 7 साल के लिए हुआ था, लेकिन यह सौदा घाटे का सौदा साबित हुआ और अनिल अंबानी का कर्ज़ बढ़ता गया। तब तक जियो के बाज़ार में आने की बाकी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं। एयरटेल, वोडाफ़ोन, आइडिया जैसी कंपनियां जियो के तूफ़ान का सामना नहीं कर सकीं। आर.कॉम तूफ़ान में बह गई।
About The Author

Lorem Ipsum is simply dummy text of the printing and typesetting industry. Lorem Ipsum has been the industry's standard dummy text ever since the 1500s, when an unknown printer took a galley of type and scrambled it to make a type specimen book. It has survived not only five centuries, but also the leap into electronic typesetting, remaining essentially unchanged. It was popularised in the 1960s with the release of Letraset sheets containing Lorem Ipsum passages, and more recently with desktop publishing software like Aldus PageMaker including versions of Lorem Ipsum.