- Hindi News
- खेल
- गिल की 'चूक' ने यशस्वी को दोहरे शतक से रोका, 175 रन बनाकर लौटे पवेलियन
गिल की 'चूक' ने यशस्वी को दोहरे शतक से रोका, 175 रन बनाकर लौटे पवेलियन
वेस्टइंडीज के खिलाफ दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच के दूसरे दिन भारतीय खिलाड़ी यशस्वी जायसवाल इतिहास रचने के बेहद करीब थे। यशस्वी ने पहले दिन शतक जड़कर 173 रन पर नाबाद लौटे थे और दूसरे दिन उनसे दोहरे शतक की उम्मीद थी। हालांकि, क्रिकेट के मैदान पर कभी-कभी छोटी सी चूक बड़े नुकसान का कारण बन जाती है, और ऐसा ही कुछ यशस्वी के साथ हुआ जब वह अपने साथी बल्लेबाज शुभमन गिल के साथ तालमेल में कमी के कारण रन आउट हो गए।
भारत ने दूसरे दिन की शुरुआत 318/2 के बड़े स्कोर के साथ की। यशस्वी अपने दोहरे शतक की ओर बढ़ रहे थे। जेडन सील्स की गेंद पर उन्होंने एक शॉट खेला और तुरंत रन के लिए गिल को इशारा किया। यशस्वी आधी पिच तक पहुंच चुके थे, लेकिन तभी शुभमन गिल ने अचानक वापस अपनी क्रीज में लौटने का फैसला किया। इसके कारण यशस्वी को अपना विकेट गंवाना पड़ा और वह 175 रनों के स्कोर पर आउट हो गए। उन्होंने इस पारी में 258 गेंदों का सामना करते हुए 22 चौकों की मदद से 175 रन बनाए।
यशस्वी जिस तरह से आउट हुए, उससे वह निराश दिखे। मैदान पर ही उन्होंने कुछ देर तक गिल के सामने अपनी नाराजगी व्यक्त की और फिर हताश होकर पवेलियन लौटे। ड्रेसिंग रूम में भी उन्हें काफी देर तक खामोश बैठे देखा गया, जो उनकी निराशा को साफ दर्शाता था। एक युवा खिलाड़ी के लिए दोहरे शतक के इतने करीब आकर इस तरह से विकेट गंवाना निश्चित रूप से दिल तोड़ने वाला था।
हालांकि, दोहरे शतक से चूकने के बावजूद यशस्वी जायसवाल ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। वह रन आउट होकर सर्वोच्च निजी स्कोर बनाने वाले भारतीय बल्लेबाजों की सूची में चौथे स्थान पर पहुंच गए हैं। इस मामले में उन्होंने दिग्गज विजय हजारे को पीछे छोड़ दिया, जो 1951 में इंग्लैंड के खिलाफ 155 रन बनाकर रन आउट हुए थे। इस सूची में शीर्ष पर संजय मांजरेकर हैं, जिन्होंने 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ 218 रन बनाए थे और रन आउट हुए थे।
यशस्वी भले ही दोहरे शतक से चूक, लेकिन उनकी प्रतिभा भविष्य के लिए एक मजबूत संकेत है। भारतीय क्रिकेट के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है कि युवा खिलाड़ी लगातार बड़े स्कोर बनाने की क्षमता रख रहे हैं।
About The Author
Lorem Ipsum is simply dummy text of the printing and typesetting industry. Lorem Ipsum has been the industry's standard dummy text ever since the 1500s, when an unknown printer took a galley of type and scrambled it to make a type specimen book. It has survived not only five centuries, but also the leap into electronic typesetting, remaining essentially unchanged. It was popularised in the 1960s with the release of Letraset sheets containing Lorem Ipsum passages, and more recently with desktop publishing software like Aldus PageMaker including versions of Lorem Ipsum.

