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भाजपा ने तिरंगा यात्रा के साथ ऑपरेशन सिंदूर पर गर्व किया, लेकिन कांग्रेस और अन्य दल क्यों चुप बैठे रहे?

(उत्कर्ष पटेल)
भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए आतंकवाद के खिलाफ सफलतापूर्वक कार्रवाई की, जिसमें पहलगाम हमले का बदला लिया गया और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। इस सफलता ने देश के हर नागरिक के दिल में गर्व की भावना पैदा की है। भारतीय सेना की इस बहादुरी ने देश की सुरक्षा और स्वाभिमान को मजबूत किया है। लेकिन इस गौरवशाली क्षण में राजनीतिक दलों की भूमिका और उनके दृष्टिकोण ने कुछ सवाल खड़े किए हैं।

केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता का जश्न तिरंगा यात्रा के साथ मनाया, जो देश भर में राष्ट्रीय गौरव और सेना के प्रति भावना को बढ़ाने का एक प्रयास था। इन कार्यक्रमों के जरिए भाजपा ने देश के नागरिकों में एकता और राष्ट्रीय भावना का संदेश देने की कोशिश की। लेकिन विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने ऐसा कोई सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किया, जिससे सवाल उठता है कि क्या वे राष्ट्रीय गौरव की भावना को बनाए रखने में पीछे रह गए।

इसके पीछे कुछ कारण हो सकते हैं। पहला, विपक्षी दल सत्ताधारी दल को ऐसे आयोजनों को अपनी सफलता के रूप में प्रस्तुत करने से रोकना चाहते हैं। अपनी राजनीतिक रणनीति के तहत वे नहीं चाहते कि भाजपा को इस गौरव की भावना से राजनीतिक लाभ मिले। दूसरा, कुछ दल ऐसे आयोजनों को राजनीतिक रंग देने से बचना चाहते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि सेना की सफलता राजनीतिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मुद्दा है। तीसरा, विपक्षी दलों का ध्यान स्थानीय मुद्दों या अन्य राजनीतिक प्राथमिकताओं पर केंद्रित हो सकता है, जिसके कारण उन्होंने ऐसे आयोजन नहीं किए। यह घटना एक महत्वपूर्ण सवाल उठाती है: क्या राष्ट्रीय गौरव और स्वाभिमान के मुद्दों को राजनीतिक चश्मे से देखना सही है?

भारतीय सेना की यह सफलता हर भारतीय की है और सभी राजनीतिक दलों को इसका जश्न मनाने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। अगर विपक्षी दल ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेते, तो एकता और राष्ट्रीय भावना का संदेश देश में और मजबूती से पहुंचता। राजनीतिक मतभेदों के बावजूद राष्ट्रीय सुरक्षा और गौरव के मुद्दे पर एकता दिखाना लोकतंत्र की सफलता है। जनता को भी ऐसे नेताओं और दलों का समर्थन करना चाहिए जो राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हों और राजनीतिक लाभ से ऊपर देश के गौरव का सम्मान करते हों।

'ऑपरेशन सिंदूर' सिर्फ सेना की जीत नहीं बल्कि देश की एकता और संकल्प का प्रतीक है। ऐसे समय में हर राजनीतिक दल को मिलकर राष्ट्रीय भावना को मजबूत करने का काम करना चाहिए ताकि भारत का स्वाभिमान हमेशा उज्ज्वल बना रहे।
(लेखक एक प्रतिष्ठित उद्योगपति और समाजसेवी हैं)
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